कच्चे दूध की आपूर्ति उत्तर भारत के प्लांटों में 25 लाख लीटर दैनिक और घट गई, जिसके चलते देसी घी एवं दूध पाउडर के उत्पादन में कमी होने के साथ-साथ आगे घरेलू व निर्यात मांग बढ़ जाने से भविष्य में 20 रुपए और बढऩे के आसार बन गए हैं। दुग्ध उत्पादक क्षेत्र अलीगढ़ खुर्जा अतरौली आगरा बल्लभगढ़ पलवल स्याना मेरठ मोहिउद्दीनपुर कुरुक्षेत्र पिहोवा सोनीपत कुंडली राई आदि देसी घी उत्पादक प्लांट में कच्चे दूध की आपूर्ति एक करोड़ लीटर से घटकर 84-85 लाख लीटर दैनिक रह गई, जिससे कंपनियों को 2/3 रुपये बढ़ाकर क्वालिटी अनुसार लिक्विड दूध 58/60 रुपए प्रति लीटर तक खरीद करने लगी है। इधर प्लांटों में बटर का स्टॉक नहीं है तथा अधिकतर कंपनियों का बटर निर्यात में 10 दिन आगे का बिका हुआ है। यही कारण है कि गर्मी में देसी घी की बिक्री कम होने के बावजूद भी 10 रुपए किलो बढक़र 15 किलो टीन पैकिंग में इसके भाव 8900/9150 रुपए प्रति टीन हो गए। टेट्रा पैक में भी इसके भाव 555/565 रुपए अलग-अलग ब्रांडों में बिकने की खबर है। हम मानते हैं कि मिलावटी देसी घी अभी भी धड़ल्ले से बिक रहा है, लेकिन सरकार की सक्रियता से काफी मिलावटिए पकड़े जा रहे हैं तथा कुछ डर बना हुआ है, लेकिन अभी भी गुजरात की मंडियों में मिलावटी माल ज्यादा बिकने के समाचार हैं, इधर राजस्थान के जयपुर लाइन में भी मिलावटी माल काफी बिक रहे हैं, ऐसी चर्चाएं आ रही हैं। इस पर सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए। इधर दूध पाउडर भी गर्मी बढऩे से 10 रुपए बढक़र प्रीमियम क्वालिटी का 325/335 रुपए प्रति किलो उक्त अवधि के अंतराल हो गया। वास्तविकता यह है कि तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र के कॉउ मिल्क पाउडर, उत्तर भारत की मंडियों में पहले की अपेक्षा 25-30 रुपए प्रति किलो ऊंचे बिकने लगे हैं, लेकिन अभी भी उत्तर भारत के दूध पाउडर से काफी नीचे है, जो साउथ के माल इधर आकर विभिन्न ब्रांडों में पैकिंग करके बिक रहे हैं, लेकिन खपत ज्यादा होने तथा जनवरी फरवरी के महाकुंभ में दूध पाउडर की भारी खपत हो जाने से पाइप लाइन में हल्के बढिय़ा माल दोनों ही कम है, इन परिस्थितियों को देखते हुए दूध पाउडर में अभी 20 रुपए प्रति किलो की और तेजी मई के मध्य तक लग रही है। अत: जहां भी पड़ते में माल मिले, खरीद कर चलना चाहिए।