छोटी इलायची में पिछले एक माह के अंतराल 450 रुपए प्रति किलो की गिरावट आ गई है। नई फसल के आने में अभी 2 महीने का समय पूरा बाकी है। वर्तमान का मंदा केवल सट्टेबाजी से आया है। अब सटोरियों के सौदे लगभग निपट चुके हैं। दूसरी ओर उत्पादक मंडियों से पड़ते नहीं है तथा शादियों की खपत दो महीने जबरदस्त रहेगी, इन परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव में और घटने की गुंजाइश नहीं लग रही है। छोटी इलायची में पिछले सीजन के बाद जो नाजायज तेजी बनी थी, वह बिना लॉजिक की थी तथा पिछले ढाई-तीन महीने से सटोरियों ने बाजार को तोडक़र पानी-पानी कर दिया है, यह भी नाजायज है। अब इन भावों में हाजिर में उत्पादक मंडियों से पड़ते 140/145 रुपए ऊंचे पड़ रहे हैं तथा नीलामी केंद्रों में आवक लगभग नगण्य रह गई है, केवल सटोरियों की बिकवाली से बाजार टूट कर पानी-पानी हो गया है। मौसम की मार से आने वाली फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे वाला है, केवल मंदडिय़ा टाइप के कारोबारी फसल अधिक होने की बात कह रहे हैं, जबकि प्रतिकूल मौसम होने से दक्षिण भारत से वास्तविकता में सकारात्मक उत्पादन नहीं आने वाला है। जो गुरु क्वालिटी की छोटी इलायची 2650 रुपए एक महीने पहले बिकी थी, उसके भाव 2100/2150 रुपए रह गए हैं, यह आधा किलो की पैकिंग के भाव हैं, जबकि एक किलो की पैकिंग 1900 रुपए यहां हाजिर में बोलने लगे हैं। रायपुर में 1725 रुपए सुनने में आ रहा है तथा ग्वालियर में 1800 रुपए का व्यापार सटोरियों द्वारा बताया जा रहा है, इन सब के बावजूद ऐसा आभास हो रहा है कि अब यहां से घटने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि नई फसल आने में अभी टाइम है। वर्तमान भाव पर खपत वाली मंडियों की पूछ परख शाम को आने लगी। हम मानते हैं कि मंदे में मंदा एवं तेजी में तेजी कारोबारियों को लगता है, लेकिन ग्वाटेमाला के माल के पड़ते भी पूरी तरह समाप्त हो गए हैं तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय छोटी इलायची की कदर बढऩे लगी हैं। यही कारण है कि अब निर्याततक भी ग्वालियर लाइन से माल पकडऩे लगे हैं तथा रायपुर वाले बिकवाल कम आ रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव की छोटी इलायची में और घटने की गुंजाइश नहीं है। एक महीने पहले ही 30 अप्रैल तक की काफी मंदे भाव में सटोरियों ने माल बेचा था, जो सेटलमेंट लगभग निपट चुका है। दूसरी ओर बार-बार प्रतिकूल मौसम होने से वास्तविकता में छोटी इलायची के लिए सकारात्मक रिपोर्ट नहीं है। अत: अब व्यापार करना चाहिए तथा घबराकर इस मंदे भाव में माल नहीं काटना चाहिए।