राजस्थान में खनिजों की खोज के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स व मशीन लर्निंग तकनीक का भी सहयोग लिया जाएगा। प्रमुख सचिव खान एवं भूविज्ञान टी. रविकान्त ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत भीलवाड़ा और भरतपुर के साथ ही चित्तोडग़ढ़ के कुछ स्थानों पर एआई के माध्यम से क्रिटिकल एवं स्ट्रेटेजिक खनिज संभावित क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि खनिज क्षेत्र में नवाचार के तहत एआई के उपयोग का निर्णय लिया गया है और इसके लिए राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (आरएसएमईटी) द्वारा केन्द्र सरकार द्वारा नोटिफाइड प्राइवेट एक्सप्लोरेशन एजेंसी के साथ काम शुरू किया जाएगा। अब राज्य के भूगर्भ में छिपे बेशकीमती खनिजों के खोज कार्य को गति देने पर जोर दिया जा रहा है ताकि प्रदेश में उपलब्ध 82 प्रकार के खनिजों में से अधिक से अधिक खनिज भण्डारों की खोज कर खनन किया जा सके। वर्तमान में राज्य में 57 प्रकार के खनिजों का खनन हो रहा है। प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स के अध्ययन से प्राप्त रिपोर्ट के अधार पर खनिज संभावित चिन्हित स्थानों पर प्राथमिकता से ड्रिलिंग करवाते हुए सेंपल्स का रासायनिक विश्लेषण करवाया जाएगा और उसके परिणामों के आधार पर ब्लॉक तैयार कर नीलामी की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि परंपरागत तरीके से पूर्वेक्षण में अधिक समय व धन व्यय होता है वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से एक्सप्लोरेशन कार्य से समय, धन और श्रम की बचत होने के साथ ही वैज्ञानिक तरीके से एक्सप्लोरेशन में गुणवत्ता और खनिज उपलब्धता सुनिश्चितता की संभावना अधिक होगी। हैदराबाद की एनपीईए क्रिटिकल मिनरल ट्रेकर द्वारा एआई के उपयोग करते हुए एक्सप्लोरेशन में केन्द्र, राज्य सरकार व अन्य एक्सप्लोरेशन संस्था के उपलब्ध डेटा, सेटेलाइट मेपिंग और ग्राउण्ड पेनिट्रेशन राडार आदि से प्राप्त डेटा का विभिन्न चरणों में विश्लेषण कर क्षेत्र विशेष में खनिज संपदा की उपलब्धता, गुणवत्ता आदि का पता लगाया जाएगा। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अन्य खनिजों के साथ ही क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक खनिजों के खोज कार्य पर अधिक बल दिया जा रहा है।