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21-06-2025

खान विभाग ने मात्र ढाई माह में अर्जित किया 1670 करोड़ रु. का राजस्व

  •  खान एवं भूविज्ञान विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने माइनिंग सेक्टर में राजस्व बढ़ोतरी के समन्वित प्रयास करने के निर्देश देते हुए निर्धारित लक्ष्य शत-प्रतिशत हासिल करने की रणनीति तय करने की आवश्यकता प्रतिपादित की है। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 17 जून तक 1670 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित हुआ है जो इसी अवधि का अब तक का सर्वाधिक राजस्व है। उन्होंने विभागीय गतिविधियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए माइनिंग से जुड़ी सभी एप्लीकेशंस को ऑनलाईन करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी को भी कार्य विशेष के लिए विभाग के कार्यालयों में अनावश्यक नहीं आना पड़े। रविकान्त स्थित उदयपुर खनिज भवन में हाईब्रिड मोड पर विभागीय अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। उन्होंंने कहा कि विभाग द्वारा माइनिंग प्लान के ऑन लाईन अनुमोदन की व्यवस्था कर दी है। इसी तरह से लीज इन्फोर्मेशन और डिमाण्ड सिस्टम की संपूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाईन करने से समय व धन की बचत के साथ ही खानधारकों को बड़ी राहत मिलने लगी है।  उन्होंने बताया कि सीएम भजन लाल शर्मा के निर्देशन में अब पायलट आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निग सिस्टम का उपयोग मिनरल एक्सप्लोरेशन के लिए शुरु किया जा रहा है। इसी तरह से डीएमएफटी को और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए नए नियम बनाये गए हैं।  रविकान्त ने खनिज प्लाट और ब्लॉक तैयार करने के डेलिनियेशन व अन्य कार्यों के निष्पादन में तेजी लाने के साथ ही माइनिंग व जियोलोजी विंग में बेहतर समन्वय पर जोर दिया ताकि अधिक से अधिक माइनर व मेजर मिनरल के ब्लॉक तैयार कर ऑक्शन किया जा सके। इससे माइनिंग सेक्टर में निवेश, रोजगार और राजस्व की बढ़ोतरी तो होगी ही साथ ही अवैध खनन पर भी रोक लग सकेगी। उन्होंने पुरानी व करन्ट बकाया राशि की वसूली के और अधिक कारगर प्रयास करने को कहा।निदेशक माइंस दीपक तंवर ने कहा कि अधीक्षण खनि अभियंता स्तर पर राजस्व वसूली, डेलिनियेशन, प्लॉट ऑक्षन, आरसीसी/ईआरसीसी ठेकों की नीलामी व रायल्टी वसूली आदि प्रमुख बिन्दुओं पर नियतकालीन समीक्षा होनी चाहिए। तंवर ने विश्वास दिलाया कि विभाग द्वारा राज्य सरकार द्वारा तय राजस्व लक्ष्यों की पूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने फील्ड अधिकारियों से कहा कि वित्तीय वर्ष के अंतिम महिनों तक प्रतीक्षा करने के स्थान पर निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार प्रतिमाह वसूली की जाये। 

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खान विभाग ने मात्र ढाई माह में अर्जित किया 1670 करोड़ रु. का राजस्व

 खान एवं भूविज्ञान विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने माइनिंग सेक्टर में राजस्व बढ़ोतरी के समन्वित प्रयास करने के निर्देश देते हुए निर्धारित लक्ष्य शत-प्रतिशत हासिल करने की रणनीति तय करने की आवश्यकता प्रतिपादित की है। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 17 जून तक 1670 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित हुआ है जो इसी अवधि का अब तक का सर्वाधिक राजस्व है। उन्होंने विभागीय गतिविधियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए माइनिंग से जुड़ी सभी एप्लीकेशंस को ऑनलाईन करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी को भी कार्य विशेष के लिए विभाग के कार्यालयों में अनावश्यक नहीं आना पड़े। रविकान्त स्थित उदयपुर खनिज भवन में हाईब्रिड मोड पर विभागीय अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। उन्होंंने कहा कि विभाग द्वारा माइनिंग प्लान के ऑन लाईन अनुमोदन की व्यवस्था कर दी है। इसी तरह से लीज इन्फोर्मेशन और डिमाण्ड सिस्टम की संपूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाईन करने से समय व धन की बचत के साथ ही खानधारकों को बड़ी राहत मिलने लगी है।  उन्होंने बताया कि सीएम भजन लाल शर्मा के निर्देशन में अब पायलट आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निग सिस्टम का उपयोग मिनरल एक्सप्लोरेशन के लिए शुरु किया जा रहा है। इसी तरह से डीएमएफटी को और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए नए नियम बनाये गए हैं।  रविकान्त ने खनिज प्लाट और ब्लॉक तैयार करने के डेलिनियेशन व अन्य कार्यों के निष्पादन में तेजी लाने के साथ ही माइनिंग व जियोलोजी विंग में बेहतर समन्वय पर जोर दिया ताकि अधिक से अधिक माइनर व मेजर मिनरल के ब्लॉक तैयार कर ऑक्शन किया जा सके। इससे माइनिंग सेक्टर में निवेश, रोजगार और राजस्व की बढ़ोतरी तो होगी ही साथ ही अवैध खनन पर भी रोक लग सकेगी। उन्होंने पुरानी व करन्ट बकाया राशि की वसूली के और अधिक कारगर प्रयास करने को कहा।निदेशक माइंस दीपक तंवर ने कहा कि अधीक्षण खनि अभियंता स्तर पर राजस्व वसूली, डेलिनियेशन, प्लॉट ऑक्षन, आरसीसी/ईआरसीसी ठेकों की नीलामी व रायल्टी वसूली आदि प्रमुख बिन्दुओं पर नियतकालीन समीक्षा होनी चाहिए। तंवर ने विश्वास दिलाया कि विभाग द्वारा राज्य सरकार द्वारा तय राजस्व लक्ष्यों की पूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने फील्ड अधिकारियों से कहा कि वित्तीय वर्ष के अंतिम महिनों तक प्रतीक्षा करने के स्थान पर निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार प्रतिमाह वसूली की जाये। 


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