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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

09-04-2025

इमली 70 रुपए बिकने की संभावना

  •  इमली का उत्पादन कम होने तथा पुराना स्टॉक 7-8 प्रतिशत बचने से सरपट तेजी का रुख बना हुआ है। आगे 3 महीने तक लगातार शादियां है, जिसमें इमली की खपत प्रचुर मात्रा में होने वाली है। दूसरी ओर असम एवं बंगाल में इमली इस बार केवल 30-31 प्रतिशत है, इन परिस्थितियों में भविष्य में इमली बीज वाली 70 रुपए किलो बिक सकती है। इमली का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड पश्चिम बंगाल एवं असम में होता था, जो पिछले 7-8 वर्षों से झारखंड का माल पश्चिम बंगाल एवं असम में ही खप रहा है। वास्तविकता यह है कि गुवाहाटी लाइन की इमली लगभग समाप्ति की ओर है, वहां उत्पादन के बाद मुश्किल से ढाई तीन महीने लोकल में खप जाती है। आगे देश की पूर्ति केवल मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं कुछ झारखंड के मालों से होती है। इस बार प्रतिकूल मौसम होने एवं बरसात कम होने से इमली के फल पेड़ों पर कम लगे थे तथा विगत दो वर्षों के अंतराल 22 प्रतिशत इमली के पुराने पेड़ गिर चुके हैं। यही कारण है कि इस बार इमली का सकल उत्पादन 28-29 प्रतिशत घटकर देश में 6 लाख बोरी के करीब रह जाने का अनुमान आ रहा है, जो गत वर्ष एक अनुमान के मुताबिक 8.30 लाख बोरी हुआ था। हम मानते हैं कि इमली की खपत भी पहले की अपेक्षा चटनी एवं अचार में कम हुई है, क्योंकि उसका स्थान टमाटर ने ले लिया है। टमाटर की सौंस एवं चटनी ज्यादा बिकने लगी है, क्योंकि पड़ते मेरा सस्ता लगता है, इन सबके बावजूद भी इमली की खपत के अनुरूप इस बार माल नहीं है तथा पुराना स्टॉक केवल 10 प्रतिशत बचा है। गौरतलब है कि जगदलपुर लाइन से लगातार अमृतसर लुधियाना जालंधर लाइन के लिए माल जा रहा है, इधर जयपुर जोधपुर लाइन में भी माल जा रहा है तथा झारखंड का माल बंगाल एवं बिहार में खप रहा है, इस वजह से इस बार इमली की आपूर्ति जगदलपुर लाइन से यहां घट गई है। इसकी नई फसल 2 महीने से चल रही है, लेकिन माल की भारी कमी होने से उत्पादक मंडियों से पड़ते यहां महंगे हो गए हैं तथा नया माल यहां 44/45 रुपए खुलकर आज 47/48 बीज वाली बोलने लगे हैं, पुराना माल 43/44 बिक रहा है तथा इन भावों में भी ज्यादा माल नहीं है। हम मानते हैं कि दिल्ली की मार्केट में व्यापार कम है, लेकिन जयपुर मंडी काफी तेज चल रही है, अधिकतर व्यापार राजस्थान पंजाब के लिए हो रहा है, इस वजह से जगदलपुर मंडी से यहां माल हाजिर में मांगने पर ढाई-तीन रुपए का महंगा पड़ रहा है, क्योंकि पंजाब हरियाणा भी सीधे माल जाने लगा है। इधर साउथ वाले इमली को जयपुर शहडोल एवं जगदलपुर बस्तर लाइन से खरीद रहे है तथा झारखंड बंगाल में माल कम होने से एवं पड़ता लगने से वहां का माल पटना भागलपुर धनबाद मुजफ्फरपुर सिवान छपरा के साथ-साथ नेपाल के कुछ क्षेत्रों में जाने लगा है। यही कारण है कि इस बार नया माल बीज वाला 47/48 किलो बोलने लगे हैं, हल्का से हल्का नया माल 46 रुपए से कम बाजार में उपलब्ध नहीं है। चपाती मुक्तसर भी नीचे में 85/95 रुपए प्रति किलो बोलने लगे हैं तथा बढिय़ा सिलेक्टेड माल 105 रुपए तक बिक रहा है। बाजार में हाजिर माल की कमी होने तथा आगे 3 महीने तक शादियों में खपत को देखते हुए बीज वाली इमली जो 48 रुपए प्रति किलो आज बोल रहे हैं, इसके भाव 70 रुपए बन सकते हैं।

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इमली 70 रुपए बिकने की संभावना

 इमली का उत्पादन कम होने तथा पुराना स्टॉक 7-8 प्रतिशत बचने से सरपट तेजी का रुख बना हुआ है। आगे 3 महीने तक लगातार शादियां है, जिसमें इमली की खपत प्रचुर मात्रा में होने वाली है। दूसरी ओर असम एवं बंगाल में इमली इस बार केवल 30-31 प्रतिशत है, इन परिस्थितियों में भविष्य में इमली बीज वाली 70 रुपए किलो बिक सकती है। इमली का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड पश्चिम बंगाल एवं असम में होता था, जो पिछले 7-8 वर्षों से झारखंड का माल पश्चिम बंगाल एवं असम में ही खप रहा है। वास्तविकता यह है कि गुवाहाटी लाइन की इमली लगभग समाप्ति की ओर है, वहां उत्पादन के बाद मुश्किल से ढाई तीन महीने लोकल में खप जाती है। आगे देश की पूर्ति केवल मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं कुछ झारखंड के मालों से होती है। इस बार प्रतिकूल मौसम होने एवं बरसात कम होने से इमली के फल पेड़ों पर कम लगे थे तथा विगत दो वर्षों के अंतराल 22 प्रतिशत इमली के पुराने पेड़ गिर चुके हैं। यही कारण है कि इस बार इमली का सकल उत्पादन 28-29 प्रतिशत घटकर देश में 6 लाख बोरी के करीब रह जाने का अनुमान आ रहा है, जो गत वर्ष एक अनुमान के मुताबिक 8.30 लाख बोरी हुआ था। हम मानते हैं कि इमली की खपत भी पहले की अपेक्षा चटनी एवं अचार में कम हुई है, क्योंकि उसका स्थान टमाटर ने ले लिया है। टमाटर की सौंस एवं चटनी ज्यादा बिकने लगी है, क्योंकि पड़ते मेरा सस्ता लगता है, इन सबके बावजूद भी इमली की खपत के अनुरूप इस बार माल नहीं है तथा पुराना स्टॉक केवल 10 प्रतिशत बचा है। गौरतलब है कि जगदलपुर लाइन से लगातार अमृतसर लुधियाना जालंधर लाइन के लिए माल जा रहा है, इधर जयपुर जोधपुर लाइन में भी माल जा रहा है तथा झारखंड का माल बंगाल एवं बिहार में खप रहा है, इस वजह से इस बार इमली की आपूर्ति जगदलपुर लाइन से यहां घट गई है। इसकी नई फसल 2 महीने से चल रही है, लेकिन माल की भारी कमी होने से उत्पादक मंडियों से पड़ते यहां महंगे हो गए हैं तथा नया माल यहां 44/45 रुपए खुलकर आज 47/48 बीज वाली बोलने लगे हैं, पुराना माल 43/44 बिक रहा है तथा इन भावों में भी ज्यादा माल नहीं है। हम मानते हैं कि दिल्ली की मार्केट में व्यापार कम है, लेकिन जयपुर मंडी काफी तेज चल रही है, अधिकतर व्यापार राजस्थान पंजाब के लिए हो रहा है, इस वजह से जगदलपुर मंडी से यहां माल हाजिर में मांगने पर ढाई-तीन रुपए का महंगा पड़ रहा है, क्योंकि पंजाब हरियाणा भी सीधे माल जाने लगा है। इधर साउथ वाले इमली को जयपुर शहडोल एवं जगदलपुर बस्तर लाइन से खरीद रहे है तथा झारखंड बंगाल में माल कम होने से एवं पड़ता लगने से वहां का माल पटना भागलपुर धनबाद मुजफ्फरपुर सिवान छपरा के साथ-साथ नेपाल के कुछ क्षेत्रों में जाने लगा है। यही कारण है कि इस बार नया माल बीज वाला 47/48 किलो बोलने लगे हैं, हल्का से हल्का नया माल 46 रुपए से कम बाजार में उपलब्ध नहीं है। चपाती मुक्तसर भी नीचे में 85/95 रुपए प्रति किलो बोलने लगे हैं तथा बढिय़ा सिलेक्टेड माल 105 रुपए तक बिक रहा है। बाजार में हाजिर माल की कमी होने तथा आगे 3 महीने तक शादियों में खपत को देखते हुए बीज वाली इमली जो 48 रुपए प्रति किलो आज बोल रहे हैं, इसके भाव 70 रुपए बन सकते हैं।


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