जौ का उत्पादन अधिक होने एवं खपत वाले उद्योगों के साथ-साथ नए स्टॉकिस्टों की खरीद चलने से मंदे को विराम लग गया है तथा आने वाले समय में पुराना स्टॉक में कमी एवं आई हुई फसल में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता को देखते हुए अच्छी तेजी की संभावना दिखाई दे रही है। अत: इसका व्यापार इस बार भरपूर लाभ दे जाएगा। जौ का उत्पादन मुख्य रूप से राजस्थान के अलवर भरतपुर जयपुर निवाई टोंक कोटा लाइन में होता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के सतना जबलपुर मुलताई लिंगा छिंदवाड़ा जबलपुर लाइन में भी प्रचुर मात्रा में माल आता है। इधर यूपी के कानपुर बांदा हमीरपुर उन्नाव कन्नौज के साथ-साथ हाथरस बुलंदशहर अनूपशहर हापुड़ गुलावठी लाइन में भी जौ का उत्पादन होता है। विगत दो वर्षों से गेहूं के ऊंचे भाव होने से इस बार जौ की बिजाई में कुछ कमी बताई जा रही है। दूसरी ओर जौ, गेहूं से पहले तैयार होता है, इसलिए 15 जनवरी के बाद के मौसम का तापमान में वृद्धि से प्रति हेक्टेयर जौ की उत्पादकता मध्य प्रदेश तथा राजस्थान दोनों ही राज्यों में घट गई है। गत वर्ष जौ का उत्पादन 22.5 लाख मैट्रिक टन के करीब होने का अनुमान लगाया गया था, जबकि इस बार खेतों में कटाई के बाद मड़ाई करने पर प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी की खबरें आने लगी है तथा इस बार जौ का उत्पादन 19.25 लाख मीट्रिक टन रह जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। हम मानते हैं कि पुराना स्टॉक भी अभी बचा था, लेकिन मंडियों में 2200/2250 रुपए प्रति क्विंटल नये माल के भाव खुलकर वर्तमान में 1850/1900 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। राजस्थान में श्रीगंगानगर पहुंच में जौ 2000/2020 रुपए प्रति क्विंटल बोल रहे हैं। दिल्ली पहुंच में अभी व्यापार कम हो रहा है, यहां पुराना माल ऊपर के भाव से 300 रुपए टूट गया है। उत्पादक मंडियों से 2000 रुपए राजस्थान पहुंच में जो जौ बिक रहा है, इसमें घटने की गुंजाइश नहीं है तथा वर्तमान भाव का जौ भरपूर लाभदायक रहेगा। दिल्ली पहुंच में 2150/2175 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव सुनने में आ रहे हैं, लेकिन ऑथेंटिक खबर नहीं है। फिलहाल कुल मिलाकर वेयरहाउस में जौ के स्टॉक में कमी को देखते हुए आगे चलकर जौ में भरपूर तेजी की संभावना है। वर्तमान भाव में जो मंडियों में 1850/1900 रुपए प्रति क्विंटल लूज में बिक रहा है, इसमें दूर-दूर तक जोखिम नहीं है।