हल्दी का उत्पादन कम होने के साथ-साथ पिछले कई वर्षो के स्टॉक की हल्दी इस बार निपट चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी हल्दी के इस बार ऊंचे भाव चल रहे हैं तथा आई हुई फसल में यील्ड प्रति हेक्टेयर कम बैठ रहा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए हल्दी 20 रुपए किलो अगले दो महीने और बढ़ सकती है। चालू माह के मध्य में हल्दी इरोड एज ईटीज ग_ा वर्ष 2023 की 118 रुपए नीचे में बिक गई थी, जो अब 138 रुपए हो गई है तथा भविष्य में रिकॉर्ड भाव बनने के आसार बनने लगे हैं। हल्दी का उत्पादन मुख्य रूप से इरोड वारंगल निजामाबाद सांगली एवं दुग्गीराला लाइन में होता है। इसकी नई फसल चालू माह के शुरुआत से ही आ रही है, लेकिन प्रति हैक्टेयर उत्पादकता सभी उत्पादक क्षेत्रों में कम होने की खबरें लगभग पक्की हो गई है तथा उत्पादक मंडियों एवं दिल्ली एनसीआर के व्यापारियों का मानना है कि 62 लाख बोरी से अधिक फसल नहीं बैठेगी, जबकि स्टॉक इस बार 5 लाख बोरी से ज्यादा नहीं है, जबकि गत वर्ष 12 लाख बोरी था। उनका तथ्य यह है कि किसान ज्यादा पिछले 4 वर्षों से मकई में परिवर्तित हो चुके हैं तथा उन क्षेत्रों में केले की खेती ज्यादा होने लगी है, जिससे हल्दी की बिजाई में रुझान काफी घट गया था। दूसरी ओर पिछले वर्ष, कई वर्षों की पुरानी हल्दी खप चुकी है, अब केवल मुख्य रूप से 2022 के बाद की ही हल्दी स्टॉक में है, कुछ गिने चुने व्यापारियों के पास चित्रकूट माल पुराना पड़ा हुआ है, वह मायने नहीं रखती है। इस समय निजामाबाद में आवक 22-23 हजार बोरी से टूटकर यहां 9-10 बोरी दैनिक रह गई है। इसके अलावा इरोड वारंगल में ग_े के साइज छोटा होने तथा पुरानी हल्दी में डंक लग जाने से माल की उपलब्धि बहुत ही निराशाजनक हो रही है। आज की तारीख में इरोड से हल्दी मांगने पर 141 रुपए प्रति किलो एक्स मंडी के पड़ते में आ रही है, जबकि यहां उन मालों के भाव 143 रुपए हैं। वहीं व्यापारियों का मानना है कि भाड़े लगाकर 148 रुपये से ऊपर जाकर वर्ष 2025 की हल्दी पड़ेगी। वर्ष 2023 की हल्दी 138 रुपए एवं वर्ष 2024 की हल्दी 140 रुपए का आज व्यापार हुआ है। निर्यात व घरेलू खपत को मिलाकर कम से कम 130 लाख बोरी की है, इस स्थिति में हल्दी के भाव 160 रुपए प्रति किलो अगले माह के अंतराल बन सकते हैं तथा आने वाले समय में इससे ऊपर की धारणा में भी कारोबारी बैठ गए हैं, उसको अभी कह पाना अतिशयोक्ति हो जाएगी, लेकिन कुल मिलाकर हल्दी के व्यापार में लगे रहना चाहिए। हम मानते हैं कि वायदा बाजार में सटोरिये इसको बीच-बीच में मंदे का झटका देते रहेंगे, लेकिन उस मंदे में घबराकर अपना माल नहीं काटना चाहिए। हल्दी का व्यापार भविष्य में भरपूर लाभदायक रहेगा। इसी तरह फली माल में भी तेजी का रुख बना हुआ है, निजामाबाद एवं सांगली दोनों उत्पादक क्षेत्रों में हल्दी की फली इस बार 10 छोटी आई है। अत: वर्तमान में रिस्क नहीं लग रहा है।