सोयाबीन का उत्पादन सामान्य होने के बावजूद भी सोया डीओसी का निर्यात इस बार पिछले 10-11 महीने के अंतराल काफी कम रह जाने से बाजार लगातार टूटता गया है तथा उक्त अवधि के अंतराल 10 हजार प्रति टन की भारी गिरावट आ चुकी है, लेकिन अब अन्य निर्यातक देशों की अपेक्षा भाव नीचे आ गए हैं, जिससे और मंदे की गुंजाइश नहीं लग रही है। पिछले डेढ़ महीने से 1000/1500 रुपए प्रति टन ऊपर नीचे भाव चल रहे हैं तथा एक बार फिर बाजार निचले स्तर पर आकर नीमच लाइन में 27500 एवं कोटा लाइन में 29000 रुपए प्रति टन पर बाजार ठहर गए हैं। गौरतलब है कि बीते वर्ष मार्च-अप्रैल में इसके भाव वहां 39000 रुक प्रति टन के आसपास थे, उसके बाद सितंबर-अक्टूबर में फसल आने पर एक तरफ नये माल का प्रेशर मंडियों में बन गया। दूसरी ओर पुराना स्टॉक अधिक होने से सोयाबीन के भाव 4800/4850 से लुढक़ कर 4100 रुपए प्रति टन के निम्न स्तर पर प्लांट पहुंच में रह गए। नीमच लाइन में 3950/4000 रुपए तक भी व्यापार हो गया है। दूसरी ओर खाद्य तेलों में आई तेजी में सोयाबीन की क्रशिंग ज्यादा हुई, जिससे सोया डीओसी के लिए प्रतिकूल स्थिति होने से प्लांटों में सोया डीओसी का स्टॉक बढ़ता चला गया। तेल सोया रिफाइंड के उत्पादन बढऩे से साल्वेंट प्लांटों में डीओसी का उत्पादन अधिक हुआ। वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ब्राजील एवं चीन के सोया डीओसी के भाव नीचे होने से निर्यात हमारा लगातार गिरता चला गया है। यही कारण है कि इस समय बाजार टूट कर पानी-पानी हो गए हैं तथा 10 हजार उक्त अवधि के अंतराल अब तक गिरावट आ चुकी है। यहां भी 32500 रुपए प्रति टन खपत वाले उद्योगों में पहुंच का व्यापार होने लगा है। नीमच लाइन के प्लांटों में भी स्टॉक जमा है। यही कारण है कि इसके डीओसी लुढक़ कर पानी पानी हो गई है। अब इन भावों में पिछले तीन दिनों से निर्यातकों की पकड़ मजबूत हुई है तथा कांदला गांधीधाम सहित अन्य बंदरगाहों पर शिपमेंट का व्यापार शुरू हो गया है, इसे देखते हुए अब और मंदे की गुंजाइश नहीं है। इसके अलावा सरसों डीओसी भी कोटा लाइन में 16500 रुपए प्रति टन हो गई है। अत: इसमें अब और घटने की गुंजाइश नहीं है, लेकिन लंबी तेजी का भी व्यापार नहीं करना चाहिए, क्योंकि सरसों की फसल आगे तैयार खड़ी है। फिलहाल सभी डीओसी के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजारों की अपेक्षा निचले स्तर पर आ गए हैं। इधर राइस ब्रांन डीओसी भी प्लांटों में 17000 से लुढक़ कर दो माह के अंतराल 10200 रुपए प्रति टन के आसपास रह गई है तथा इसमें भी और घटने की गुंजाइश नहीं है। अत: आगे चलकर नई वित्तीय वर्ष में सभी डीओसी के व्यापार में लाभ मिलने की संभावना है।