हल्दी का उत्पादन कम होने के साथ-साथ पुराना स्टॉक कम बचने से इस बार सकल उपलब्धि खपत के अनुरूप नहीं है, जिस कारण 3 दिन के अंतराल यह 8 रुपए प्रति किलो बढ़ गई है। भविष्य में इन भावों में थोड़ा करेक्शन के बाद फिर बाजार बढ़ेगा। हल्दी का उत्पादन इस बार ताजा अनुमान 65 लाख बोरी का आ रहा है, जो खपत की तुलना में बहुत ही कम है, लेकिन पुराना स्टॉक 5 लाख बोरी के करीब बचने का अनुमान है। इस तरह सकल उपलब्धि 70 लाख बोरी की हो रही है, जबकि हमारे खपत 130 लाख बोरी के करीब है। गत कई वर्षों का नया पुराना मिलकर कुल 90-92 लाख बोरी के करीब बैठती थी। इस वजह से निश्चित रूप से माल की शॉर्टेज देश की मंडियों में बनी हुई है। पिछले दिनों की आई तेजी के बाद बाजार एक बार नीचे आ गया था, लेकिन यहां से फिर बढऩे लगा है, क्योंकि उत्पादन मंडियों से हल्दी की लोडिंग कम हो रही है। वहां आपूर्ति अनुकूल नहीं है। पिछले महीने की आई 40 रुपए प्रति किलो की तेजी के बाद एक बार मुनाफा ले जाने अधिकतर कारोबारियों के माल कट चुके हैं। जो हल्दी मार्च में वर्ष 2023 की 145/146 रुपए प्रति किलो हाजिर में पिछले सप्ताह बिक गई थी, उसके भाव 154/155 रुपए प्रति किलो आज हो गए। वर्ष 2024 की हल्दी 1157 रुपए एवं वर्ष 2025 की 160 रुपए तक बोलने लगे हैं। वायदा बाजार में पिछले सप्ताह तेजी का सर्किट लग गया था, लेकिन उस हिसाब से वास्तविक खपत नहीं है, यह केवल स्टॉकिस्टों एवं सटोरियों द्वारा इतनी तेज गति से भाव को बढ़ाया गया है। अत: इसमें धीरे-धीरे तेजी आने पर ही भाव आगे टिकाऊ होंगे। गौरतलब है कि फसल कम जरूर है, दूसरी ओर इस बार पुरानी हल्दी 90 प्रतिशत खप चुकी है। जो हल्के भारी डंक वाले माल आते थे, वह भी पिसाई में जा चुके हैं, इसलिए स्टॉक के लिए हल्दी ज्यादा नहीं है तथा मंडियों में माल का दबाव नहीं बन रहा है। उत्पादन एवं पुराने स्टॉक को देखते हुए हल्दी एजईटीज 180 रुपए को पार कर सकती है। हम मानते हैं कि इस बार पिछले 8-10 वर्षों की हल्दी काफी कट चुकी है,वहीं इस बार आई हुई हल्दी सांगली एवं निजामाबाद लाइन में काफी कम बता रहे हैं, इसीलिए वहां इन दिनों 30/32 हजार बोरी से घटकर आवक 10-11 हजार बोरी दैनिक रह गई है, जो आगे अच्छी तेजी का संकेत देता है।