बाजरे की निकट भविष्य में कोई फसल आने वाली नहीं है। सरकार द्वारा लगातार नीलामी में बाजरे की बिक्री सस्ते भाव में किए जाने से एक बार फिर बाजार काफी नीचे आ गया है तथा हरियाणा पंजाब पहुंच में 2375/2400 रुपए पर भाव आ गए हैं। इसी तरह सरकार आगे भी बेचती रही, तो निकट भविष्य में तेजी नहीं आएगी। बाजरे की फसल आए 6 महीने हो चुके हैं, इसकी अतिरिक्त खपत 22प्रतिशत खाद्यान्न में अतिरिक्त होने से बाजरा दिसंबर के महीने में 2550/2600 रुपए हरियाणा पंजाब पहुंच में बिक गया था, लेकिन सरकार द्वारा टेंडर में माल बाजरा एवं एथेनॉल कंपनियों को चावल 2250 रुपए में बेचे से बाजारा धीरे-धीरे गिरता जा रहा है। इसका टेंडर 2264 रुपए प्रति क्विंटल एक्स गोदाम से हुआ है, जिससे प्राइवेट सेक्टर का बाजरा बिकना बंद हो गया है। नयी फसल आने में अभी 6-7 महीने का समय बाकी है, लेकिन जिस तरह सरकारी गोदामों के माल सस्ते, खपत वाले उद्योग में पहुंचने लगे हैं, इसे देखते हुए निकट में तेजी की गुंजाइश नहीं दिखाई दे रही है। हरियाणा पंजाब पहुंच में जो बाजार 2450/2460 रुपए प्रति क्विंटल 3 दिन पहले बिका था, उसके भाव आज 2400 रुपए बोल गए, जबकि 2375 तक ही व्यापार सुना गया। वास्तविकता यह है कि तेजी मंदी करने वाले कारोबारी काफी बाजरे का स्टॉक में किए हुए थे, उनका 200/250 रुपए प्रति क्विंटल का नेट नुकसान लग रहा है, ब्याज भाड़ा लगाकर और ज्यादा भी नुकसान है। इसी तरह सरकार बेचती रही, तो आने वाले समय में बाजरे की बिजाई भी कम हो जाएगी। गर्मी वाला बाजरा किसान कम बो रहे हैं, क्योंकि सरकार की बिकवाली के रूख को देखकर किसानों को भी दहशत बना हुआ है। सरकार को बाजरे की बिकवाली भी रोक देनी चाहिए, जिससे किसानों का बिजाई के तरफ ध्यान बना रहे अन्यथा बिजाई घट सकती है।