हल्दी का उत्पादन कम होने के साथ-साथ पुराना स्टॉक कम बचने से सकल उपलब्धि खपत के अनुरूप नहीं है। यही कारण है कि हल्दी गत 10 दिनों के अंतराल 40 रुपए प्रति किलो बढ़ गई है। अब इन भाव में एक बार मुनाफा ले जाना चाहिए, क्योंकि बहुत कम समय में भारी तेजी के बाद करेक्शन आएगा, उसके बाद फिर बाजार बढ़ेगा। हल्दी का उत्पादन इस बार ताजा अनुमान 65 लाख बोरी का आ रहा है, जो खपत की तुलना में बहुत ही कम है, लेकिन पुराना स्टॉक 5 लाख बोरी के करीब बचने का अनुमान है। इस तरह सकल उपलब्धि 70 लाख बोरी की हो रही है, जबकि हमारे खपत 130 लाख बोरी के करीब है। गत कई वर्षों का नया पुराना मिलकर 90-92 लाख बोरी के करीब सकल उपलब्धि थी। इस वजह से निश्चित रूप से माल की शॉर्टेज देश की मंडियों में बनी हुई है। आप प्रश्न यह उठता है कि यहां से बाजार किस तरफ जाएगा, तो पिछले दिनों की आई 40 रुपए प्रति किलो की तेजी के बाद अब यहां से एक बार मुनाफा ले जाना चाहिए, क्योंकि एक बार करेक्शन लगता है। जो हल्दी मार्च में वर्ष 2023 की 118/120 रुपए प्रति किलो हाजिर में बिक गई थी, उसके भाव 158 रुपए प्रति किलो आज हो गए। वर्ष 2024 की हल्दी 160 रुपए एवं वर्ष 2025 की 163 रुपए का व्यापार यहां हो गया। वायदा बाजार भी लगातार बढ़ता चला गया है, लेकिन उस हिसाब से वास्तविक खपत नहीं है, यह केवल स्टॉकिस्टों एवं सटोरियों द्वारा इतनी तेज गति से भाव को बढ़ाया गया है, इसलिए यहां से अब करेक्शन लग रहा है। वास्तविकता में फसल कम जरूर है, लेकिन जितनी तेजी अगले तीन माह के अंतराल आनी चाहिए थी, वह केवल 10 दिन में आ गई है, जिससे आगे चलकर बाजार एक बार सुस्त होने की संभावना नजर आने लगी है। हालांकि डिब्बे में डिलीवरी ज्यादा नहीं है, लेकिन सरपट तेजी को देखकर आगे कुछ दिनों के लिए बाजार सुस्त लगने लगा है। अत: थोड़ा करेक्शन के बाद ही बाजार बढ़ेगा और अंततोगत्वा हल्दी 170 को पार एज ईटीज क्वालिटी की कर सकती है, लेकिन कुल मिलाकर वर्तमान में एक बार मुनाफा ले जाना चाहिए। इस बार पिछले 8-10 वर्षों की हल्दी काफी कट चुकी है, मुश्किल से उन मालों में पांच प्रतिशत का स्टॉक बचा होगा, वर्तमान में वर्ष 2023 एवं वर्ष 2024 की हल्दी स्टॉक में बची है तथा इस बार आई हुई हल्दी सांगली एवं निजामाबाद लाइन में काफी कम बता रहे हैं, इसीलिए वहां इन दिनों 28/30 हजार बोरी से घटकर आवक 10 हजार बोरी दैनिक रह गई है, जो आगे संकेत देता है कि वास्तविकता में माल की कमी है। वशर्तें सट्टेबाज बाजार को खराब ना करें। अत: आगे थोड़ी-थोड़ी तेजी में लाभ लेते रहना चाहिए।