इस बार राई का उत्पादन कम होने के साथ-साथ पुराना स्टॉक ज्यादा नहीं है। इसके अलावा बारीक सरसों की भी उपलब्धि उत्पादक मंडियों में कम दिखाई दे रही है, जिससे मिलावटी माल भी ज्यादा नहीं आ रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए आने वाले टाइम में राई 200 रुपए प्रति किलो को पार कर सकती है। राई का मुख्य उत्पादक कर्नाटक के गुलबर्गा काली कोठी लाइन में होता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के सीमावर्ती मंडियों में भी हल्की क्वालिटी की राई आती है तथा मध्य प्रदेश में बारीक सरसों को भी 32-33 प्रतिशत ओरिजिनल राई में मिला देते हैं, इसलिए वहां माल सस्ता बिकता है। यद्यपि राई का उत्पादन अनुमान लगाना तो मुश्किल है, लेकिन कर्नाटक में वर्तमान में आई हुई राई को देखते हुए ऐसा आभास हो रहा है कि 37-38 प्रतिशत इस बार उत्पादन कम है। दूसरी ओर जो ग्वालियर लाइन में राई बढिय़ा माल को उठने नहीं देती थी, वह भी इस बार मंडियों में कम आ रही है, उसे आम उपभोक्ता अब कम पड़ रहे हैं। वह भी 100/105 रुपए प्रति किलो के बीच मिक्सिंग वाले माल बिक रहे हैं। व्यापारी वर्ग में चर्चा है की बारीक सरसों की मिक्सिंग, ओरिजिनल राई में करके धड़ल्ले से कारोबारी बेचते हैं, लेकिन वह भी अब धीरे-धीरे आम उपभोक्ताओं में जागरूकता होने से उसकी लिवाली कम हो गई है। गौरतलब है कि कर्नाटक की असली राई में खट्टापन होता है, जबकि सरसों में झाड़ होती है। बारीक सरसों को कुछ मिलाकर मंदे भाव में कारोबारी बेचते रहते हैं, लेकिन इस बार असली राई की कदर बढ़ गई है तथा डेढ़ महीने पहले जो राई नीचे में 138/139 रुपए प्रति किलो बिक गई थी, उसके भाव 180 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। उत्पादक मंडियों से आज की तारीख में राई मंगाने पर 186 रुपए का पड़ता आ रहा है तथा वहां से भी ज्यादा माल नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि किसी भी मंडियों में पुराना स्टॉक ज्यादा नहीं है तथा आने वाली फसल में भारी पोल से स्टॉकिस्ट माल खरीदने लगे हैं इसके अलावा सटोरिया भी घुस गए हैं। जो माल मंडियों में बचा है, उसकी भी बिकवाली नहीं है। उधर अचार वह अन्य खाद्य पदार्थ बनाने वाले उद्योग भी माल पकडऩे लगे हैं, इन परिस्थितियों को देखते हुए राई के भाव संभवत: 200 को पार कर सकते हैं तथा कुछ कारोबारी 230/235 रुपए की भी धारणा में बैठ गए हैं।