राजस्थान के किसानों तथा स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर पडऩे से ऊंझा में जीरे की आवक में उल्लेखनीय कमी आई है। इसकी वजह से इस प्रमुख किराना जिंस की थोक कीमत में हाल ही में आई मंदी से पहले अच्छी-खासी तेजी आ गई थी। आगामी दिनों में यदि आवक तुलनात्मक रूप से नीची ही बनी रहती है तो हाजिर में जीरा मजबूत बना रह सकता है। मार्च क्लोजिंग के अवकाश के बाद से ऊंझा में जीरे की आवक में भारी कमी देखी जा रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि राजस्थान के किसानों तथा स्टॉकिस्टों ने इस प्रमुख किराना जिंस की बिकवाली घटा दी है। हालांकि इससे ऊंझा में जीरे की आवक सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 72-75 हजार बोरियों के स्तर पर पहुंच गई थी। फिलहाल वहां जीरे की करीब 38-40 हजार बोरियों की आवक होने की जानकारी मिली। इस बार गुजरात में जीरे की बिजाई वार्षिक आधार पर करीब 15 प्रतिशत घटकर 4,76,500 लाख हेक्टेयर में हुई है। गुजरात की मंडिय़ों में जीरे में व्यापारिक गतिविधियां भी सुधरने लगी हैं। ऊंझा में जीरे की कीमत भी हाल ही में 165-400 रुपए उछलकर फिलहाल 4450/4840 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व इसमें 75-120 रुपए की तेजी आई थी। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली सुस्त ही बनी होने से जीरा सामान्य हाल ही में 2000-2100 रुपए उछलकर फिलहाल 22,500/23,300 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें 100-200 रुपए की मंदी आई थी। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के आरंभिक आठ यानी अप्रैल-दिसम्बर, 2024 में देश से 4909.76 करोड़ रुपए कीमत के 1,78,846.56 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 1,06,905.40 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 4034.48 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों मे यदि आवक नहीं बढ़ती है तो जीरा मजबूत ही बना रह सकता है।