बॉडीब्लो यानी (जबरदस्त आघात)। एनपीए हो चुकी भूषण पावर एंड स्टील को खरीदने के जेएसडब्ल्यू के प्लान को सुप्रीम कोर्ट ने ...इल्लीगल...कह रिजेक्ट क्या किया देश के बैंकिंग सैक्टर में भूकंप सा आ गया। बैंकों को चिंता यह है कि उनका 31 हजार करोड़ रुपये का बकाया तो लटका ही अब रेजोल्यूशन से जो वसूली होनी थी उसके लिए भी प्रोविजन करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को कर्ज में डूबी भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील के 19,700 करोड़ के रेजॉल्यूशन प्लान को रिजेक्ट कर दिया था। इस रेजॉल्यूशन प्लान से बैंकों को जो रकम मिलनी वो तो नहीं मिलेगी बल्कि उन्हें अब इसके लिए प्रोविजनिंग करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भारत सरकार की सक्सैस स्टोरी इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड और बैंकिंग सैक्टर दोनों के लिए बॉडीब्लो (जबरदस्त आघात) माना जा रहा है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस फैसले के बाद सरकार को इंसॉल्वेंसी की पूरी प्रॉसेस को रिव्यू करना पड़ सकता है। भारतीय बैंकों का बीपीएसएल पर कुल मिलाकर 31,300 करोड़ का लोन है और ब्रोकरेज रिपोर्ट्स के अनुसार इसमें से 12400 करोड़ रुपये की वसूली हो सकती है। जिसे बकाया लोन अमाउंट के अनुपात में बैंकों में बांटा जाना है। 31300 करोड़ रुपये के इस एनपीए में एसबीआई का सबसे अधिक 9,800 करोड़ है जिसमें से बैंक को 3,930 करोड़ की वसूली होने की संभावना थी। इसी तरह पंजाब नेशनल बैंक ने 6,100 करोड़ का दावा किया था और इसे 2,440 करोड़ रुपये की रिकवरी होने की उम्मीद थी। केनरा बैंक को 3,700 करोड़ के दावे में से 1,490 करोड़ रुपये मिलना था। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 3,200 करोड़ का दावा था और उसे 1,280 करोड़ रुपये की रिकवरी होने की उम्मीद थी। इंडियन ओवरसीज बैंक का दावा 1,000 करोड़ रुपये का था और उसे 420 करोड़ मिलने की उम्मीद है, जबकि इंडियन बैंक को 2,600 करोड़ में से 1,060 करोड़ की वसूली की उम्मीद थी। रिपोर्ट्स के अनुसार बैंकों को इस झटके के बाद 3500 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग करनी होगी। एनसीएलटी ने पहले इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स की एक समाधान योजना को मंजूरी दी थी, जिससे बैंको को वेदांता से 13,175 करोड़ रुपये की कुल बकाया का लगभग 40 परसेंट रिकवरी होने की उम्मीद थी। भूषण स्टील और इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स उन 12 बड़े कॉरपोरेट खातों में से हैं जिन्हें आरबीआई ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत तत्काल समाधान के लिए पहचाना है। इन 12 खातों पर मार्च 2018 तक बैंकों का कुल 3.45 लाख करोड़ रुपये बकाया था।
