डायमंड कंपनी डी बीयर्स का वो स्लोगन याद है ना...हीरा है सदा के लिए। अब गोल्ड पर सही साबित हो रहा है क्योंकि आसमान छूती प्राइस के कारण गोल्ड को जहां ज्यूलरी बायर की बेरुखी झेलनी पड़ रही है वहीं फैमिली गोल्ड को कैश करने की होड़ सी मची है। आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि भारत में गोल्ड लोन 103 परसेंट की तूफानी रफ्तार से बढक़र 1 लाख के मुकाबले 2.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। गोल्डलोन में यह उछाल ऐसे समय में आया है जब वित्त वर्ष 25 में कुल बैंक क्रेडिट ग्रोथ रेट 20 परसेंट से घटकर केवल 11 परसेंट रह गई। गोल्ड लोन की इस रिकॉर्ड छलांग के हालांकि कई ड्राइवर हैं। वर्ष 2023 में आरबीआई ने बैंकों को कई तरह के एग्री लोन को गोल्ड लोन की कैटेगरी में डालने के कहा था। आम तौर पर बैंक गोल्ड लोन को एग्री लोन की कैटेगरी में रखते हैं क्योंकि इनकी इंटरेस्ट रेट भी कम होती है और रीपेमेंट की शर्त भी आसान होती है। रिपोर्ट के अनुसार गोल्ड की प्राइस में आए तेज उछाल के कारण एलटीवी यानी लोन टू वैल्यू बढऩे का फायदा मिलने से भी इसमें तेज ग्रोथ हुई है। लोन टू वैल्यू यानी गोल्ड ज्यूलरी के वैल्यूएशन का कितना परसेंट लोन मिलेगा। मार्च 2025 के अंत में बकाया बैंक लोन 182 लाख करोड़ रुपये था। साथ में लगी टेबल देखने से पता चलता है कि कुल बैंक क्रेडिट में पर्सनल लोन और गोल्ड लोन के अलावा ज्यादातर कैटेगरी का शेयर घटा है। गोल्ड लोन के बाद दूसरा सबसे तेजी से बढऩे वाला सैगमेंट लोन अगेन्स्ट सिक्यॉरिटीज का था जिनका एयूएम 18.7% बढक़र 10,080 करोड़ रुपये हो गया। वहीं कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेगमेंट 1.3 परसेंट की गिरावट के साथ 23,402 करोड़ रुपये रह गया। पर्सनल लोन में 30.1 लाख करोड़ रुपये के साथ हाउसिंग लोन का शेयर 16.5 परसेंट था।

