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09-05-2025

अपील दायर करने में अधिकतम 15 दिन की देरी को ही माफ कर सकता है NCLAT

  •  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) अपील दायर करने में अधिकतम 15 दिन की देरी को ही माफ कर सकता है। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने अपील दायर करने और कानूनी कार्रवाई करने के लिए सख्त समयसीमा निर्धारित की, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि दिवाला कार्यवाही का दुरुपयोग समय-सीमा समाप्त हो चुके ऋणों की वसूली के लिए न किया जाए। देरी को माफ करने का मतलब है कि अदालत या प्राधिकरण को अपील या आवेदन दायर करने में देरी को नजरअंदाज करने की अनुमति देना, भले ही वह निर्धारित समय सीमा से परे हो। पीठ ने कहा, ‘‘धारा 61(2) का प्रावधान स्पष्ट रूप से एनसीएलएटी के अधिकार क्षेत्र को आरंभिक 30 दिन की अवधि से परे केवल 15 दिनों तक की देरी को माफ करने तक सीमित करता है। जहां कोई क़ानून स्पष्ट रूप से उस अवधि को सीमित करता है जिसके भीतर ही देरी को माफ किया जा सकता है, ऐसी स्थिति में अपीलीय न्यायाधिकरण उस सीमा को पार नहीं कर सकता है।’’ अदालत ने कहा कि आईबीसी के तहत अपीलीय तंत्र दिवाला समाधान प्रक्रिया की गति और निश्चितता को बनाए रखने के लिए सख्ती से समयबद्ध है। यह निर्णय राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर आया, जिसमें अपील दायर करने में देरी को माफ कर दिया गया था।

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अपील दायर करने में अधिकतम 15 दिन की देरी को ही माफ कर सकता है NCLAT

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) अपील दायर करने में अधिकतम 15 दिन की देरी को ही माफ कर सकता है। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने अपील दायर करने और कानूनी कार्रवाई करने के लिए सख्त समयसीमा निर्धारित की, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि दिवाला कार्यवाही का दुरुपयोग समय-सीमा समाप्त हो चुके ऋणों की वसूली के लिए न किया जाए। देरी को माफ करने का मतलब है कि अदालत या प्राधिकरण को अपील या आवेदन दायर करने में देरी को नजरअंदाज करने की अनुमति देना, भले ही वह निर्धारित समय सीमा से परे हो। पीठ ने कहा, ‘‘धारा 61(2) का प्रावधान स्पष्ट रूप से एनसीएलएटी के अधिकार क्षेत्र को आरंभिक 30 दिन की अवधि से परे केवल 15 दिनों तक की देरी को माफ करने तक सीमित करता है। जहां कोई क़ानून स्पष्ट रूप से उस अवधि को सीमित करता है जिसके भीतर ही देरी को माफ किया जा सकता है, ऐसी स्थिति में अपीलीय न्यायाधिकरण उस सीमा को पार नहीं कर सकता है।’’ अदालत ने कहा कि आईबीसी के तहत अपीलीय तंत्र दिवाला समाधान प्रक्रिया की गति और निश्चितता को बनाए रखने के लिए सख्ती से समयबद्ध है। यह निर्णय राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर आया, जिसमें अपील दायर करने में देरी को माफ कर दिया गया था।


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