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10-05-2025

इंडिया-यूके एफटीए 15 महीने में हो पाएगा लागू

  •  कोई सात साल तक रुक-रुक कर चली बातचीत के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के लिए सहमति तो बन गई। लेकिन इसे लागू होने के लिए अभी कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा और इसमें कम से कम पंद्रह महीने लगेंगे। सबसे पहले एग्रीमेंट के कानूनी पहलुओं की समीक्षा की जाएगी जिसमें तीन महीने लगेंगे। वहीं ब्रिटिश संसद द्वारा मंजूरी मिलने के लिए एक वर्ष का इंतजार करना पड़ सकता है। अभी दोनों देशों ने फ्रेमवर्क पर सहमति जताकर हस्ताक्षर किए हैं और पूरा विवरण तैयार होने के लिए दोनों का सहमत होना जरूरी है। स्कॉच और ऑटोमोबाइल पर टैरिफ कम करने का निर्णय एक बड़ा कदम था जिससे यह डील आगे बढ़ती चली गई। इन दोनों को भारत ने सौदे के लिए इस्तेमाल किया जिससे ब्रिटेन को टैक्सटाइल, गारमेंट्स, जेम्स एंड ज्यूलरी व फुटवीयर आदि पर अपना रुख नरम करना पड़ा। समझौते के अनुसार, भारत यूके की व्हिस्की और जिन पर टैरिफ को 150 परसेंट से घटाकर 75 परसेंट कर देगा। एग्रीमेंट के दसवें वर्ष में इसे घटाकर 40 परसेंट तक कर दिया जाएगा। वहीं ऑटोमोबाइल में छोटी खिडक़ी खोली गई है जिसे 10-15 साल में धीरे-धीरे बड़ा किया जाएगा। हालांकि इसमें फ्यूचुरिस्टिक कारों को शामिल नहीं किया गया है। भारत के लिए राहत की बात यह है कि जनवरी 2027 से लागू होने कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) के विवादास्पद मुद्दे पर यूके ने दबाव नहीं डाला है। भारत-ब्रिटेन एफटीए के तहत भारत के 99 परसेंट एक्सपोर्ट पर टैरिफ •ाीरो हो जाएगा। माना जा रहा है कि इस एफटीए के बाद भारत और यूके के बीच 2030 तक गुड्स एंड सर्विसेस का बाइलेटरल ट्रेड दोगुना होकर 120 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है।

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इंडिया-यूके एफटीए 15 महीने में हो पाएगा लागू

 कोई सात साल तक रुक-रुक कर चली बातचीत के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के लिए सहमति तो बन गई। लेकिन इसे लागू होने के लिए अभी कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा और इसमें कम से कम पंद्रह महीने लगेंगे। सबसे पहले एग्रीमेंट के कानूनी पहलुओं की समीक्षा की जाएगी जिसमें तीन महीने लगेंगे। वहीं ब्रिटिश संसद द्वारा मंजूरी मिलने के लिए एक वर्ष का इंतजार करना पड़ सकता है। अभी दोनों देशों ने फ्रेमवर्क पर सहमति जताकर हस्ताक्षर किए हैं और पूरा विवरण तैयार होने के लिए दोनों का सहमत होना जरूरी है। स्कॉच और ऑटोमोबाइल पर टैरिफ कम करने का निर्णय एक बड़ा कदम था जिससे यह डील आगे बढ़ती चली गई। इन दोनों को भारत ने सौदे के लिए इस्तेमाल किया जिससे ब्रिटेन को टैक्सटाइल, गारमेंट्स, जेम्स एंड ज्यूलरी व फुटवीयर आदि पर अपना रुख नरम करना पड़ा। समझौते के अनुसार, भारत यूके की व्हिस्की और जिन पर टैरिफ को 150 परसेंट से घटाकर 75 परसेंट कर देगा। एग्रीमेंट के दसवें वर्ष में इसे घटाकर 40 परसेंट तक कर दिया जाएगा। वहीं ऑटोमोबाइल में छोटी खिडक़ी खोली गई है जिसे 10-15 साल में धीरे-धीरे बड़ा किया जाएगा। हालांकि इसमें फ्यूचुरिस्टिक कारों को शामिल नहीं किया गया है। भारत के लिए राहत की बात यह है कि जनवरी 2027 से लागू होने कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) के विवादास्पद मुद्दे पर यूके ने दबाव नहीं डाला है। भारत-ब्रिटेन एफटीए के तहत भारत के 99 परसेंट एक्सपोर्ट पर टैरिफ •ाीरो हो जाएगा। माना जा रहा है कि इस एफटीए के बाद भारत और यूके के बीच 2030 तक गुड्स एंड सर्विसेस का बाइलेटरल ट्रेड दोगुना होकर 120 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है।


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