होते हैं। लेकिन विजिंजम ट्रांसशिपमेंट पोर्ट तैयार हो जाने से यह खर्च बचेगा साथ नया डीपवॉटर पोर्ट रेवेन्यू भी जेनरेट होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी क्षमता आने वाले समय में बढक़र तीन गुना हो जाएगी। यहां दुनिया के बड़े मालवाहक जहाज आ सकेंगे। ट्रांसशिपमेंट यानी बड़े जहाज से कंटेनर छोटे जहाज में शिफ्ट करना। जैसे रेलगाड़ी से सवारियां अपने-अपने स्टेशन पर उतरती हैं। भारत सरकार ने हाल ही महाराष्ट्र में बढ़ावण पोर्ट पर भी काम शुरू किया है। सरकार का टार्गेट 2023 से 2028 के बीच पोर्ट कार्गो कैपेसिटी 500 से 550 मिलियन टन बढ़ाने का है। भारत से 95 परसेंट एक्सपोर्ट (वॉल्यूम) और 70 परसेंट एक्सपोर्ट (वैल्यू) पोर्ट्स के जरिए होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को टॉप30 बंदरगाहों में अब दो भारत के हैं। टॉप100 में 9 पोर्ट भारत के हैं जो 2020 में केवल तीन थे। इसी तरह टर्नअराउंड टाइम यानी आने लंगर डालने, मार उतारने, माल चढ़ाने और लौटने में लगने वाला समय घटकर 2 दिन रह गया है। जबकि यूएई और दक्षिण अफ्रीका में 4 दिन, अमेरिका में 7 दिन और जर्मनी में टर्नअराउंड टाइम 10 दिन का है। भारत की सालाना पोर्ट कैपेसिटी 2014-2015 में 871.52 मिलियन टन थी जो बढक़र 2023-2024 में 1629.86 मिलियन टन हो गई है। एक आधिकारिक डेटा के अनुसार प्रमुख बंदरगाहों के लिए औसत टर्नअराउंड टाइम 2013-14 में 93.59 घंटे था जो घटकर 2023-24 में 48.06 घंटे रह गया है।
