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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi
05-05-2025
दिग्गज इंवेस्टमेंट बैंक यूबीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री की डिमांड वर्ष 2025 से 2030 के बीच दोगुनी हो जाएगी। इस दौरान इंडस्ट्री का रेवेन्यू 54 बिलियन डॉलर से बढक़र 108 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है। रिपोर्ट में आगे अनुमान लगाया गया है कि लोकेलाइजेशन के अवसर बढऩे के कारण 2030 तक इनका रेवेन्यू में शेयर लगभग 13 बिलियन डॉलर हो जाएगा। भारत का सेमीकंडक्टर एंडयूज मार्केट 2025 से 2030 तक 15 परसेंट की सीएजीआर से बढ़ेगा। यूबीएस ने कहा कि यह 15 परसेंट सीएजीआर अनुमान ग्लोबल सेमीकंडक्टर के एंडयूज मार्केट के पुराने अनुमान से भी तेज है। भारत की यंग आबादी और इनकम में हो रही ग्रोथ के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स की डिमांड तेज रहेगी जिसका फायदा सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल ग्लोबल वेफर कैपेसिटी में भारत का शेयर केवल 0.1 परसेंट है। इसी तरह वार्षिक ग्लोबल उपकरण खर्च का लगभग 1 परसेंट और सेमीकंडक्टर एंड-डिमांड का 6.5 परसेंट ही है। यूबीएस ने कहा कि ग्लोबल टेक दिग्गज ट्रंप टैरिफ के कारण अपनी सप्लाई चेन को शिफ्ट करने के प्लान पर काम कर रहे हैं। कुछ कंपनियां पहले ही फाइनल असेंबली फैसिलिटी को चीन से बाहर ले जाकर चाइना प्लस वन स्ट्रेटेजी पर आगे बढ़ चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत को अब तक ज्यादातर फायदा सॉफ्टवेयर और सर्विस सैक्टर में हुआ है जबकि मेनलैंड चायना ने मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल लीडरशिप हासिल की है। सेमीकंडक्टर्स में भारत का एडवांटेज यह है कि मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले 20 परसेंट चिप डिजायनर भारत के ही हैं। इसके बावजूद भारत और चीन के सेमीकंडक्टर बाजार में बड़ा गैप है जिसे भरने की जरूरत है। वर्ष 2025 में भारत का सेमीकंडक्टर मार्केट 6.5 परसेंट ग्लोबल शेयर के साथ केवल 54 बिलियन डॉलर का होगा जबकि चीन का 185 बिलियन डॉलर का।
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