आपको याद है पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान आरबीआई सोने का बड़ा खजाना लंदन से भारत ले आया तो बड़ी चर्चा हुई थी। यूक्रेन वॉर के कारण अमेरिका और यूरोप के देशों ने रूस के 300 बिलियन डॉलर के फॉरेन असैट्स को फ्रीज कर देने कारण भारत सरकार को भी यह कदम फास्ट्रेक करना पड़ा था। हालांकि आरबीआई ने कहा है कि उसके फॉरेक्स रिजर्व में चार साल में गोल्ड की हिस्सेदारी दोगुनी हो गई है। डॉलर मूल्य में कुल फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड का शेयर मार्च के अंत तक बढक़र लगभग 11.70 परसेंट हो गया जो सितंबर 24 में 9.32 परसेंट और मार्च 21 में 5.87 परसेंट ही था। मार्च के अंत में आरबीआई के पास 879.59 मीट्रिक टन सोना था, जबकि सितंबर के अंत में 854.73 मीट्रिक टन ही था। आरबीआई ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सोने का अनुपात 31 मार्च तक बढक़र 511.99 मीट्रिक टन बढ़ गया जो सितंबर के अंत तक 510.46 मीट्रिक टन था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 348.62 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास सुरक्षित रखा गया था और 18.98 मीट्रिक टन सोना जमा के रूप में रखा गया था। वित्त वर्ष 2025 में खरीदा 57 टन गोल्ड : वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में आरबीआई ने विदेशी बैंकों में जमा अपने बड़े गोल्ड रिजर्व को भारत में ट्रांसफर किया था। यह मार्च 2024 तक 408 टन के आसपास था जो वह सितंबर 2024 तक बढक़र 510.46 टन हो गया। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में अपने गोल्ड रिजर्व में बड़ा इजाफा किया है और इस दौरान करीब 25 टन सोना खरीदा, जिससे मार्च 2025 के अंत तक भारत का कुल सोने का भंडार 879.59 टन पहुंच गया। सितंबर 2024 के अंत में आरबीआई का गोल्ड रिजर्व 854.73 टन था। पूरे वित्त वर्ष 25 की बात करें तो आरबीआई ने कुल 57 टन से ज्यादा सोना खरीदा, जो कि पिछले सात सालों में सबसे ज्यादा सालाना खरीद है। यह खरीद ऐसे समय में की गई है जब वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतों में करीब 30 परसेंट की जबरदस्त तेजी देखी गई। आरबीआई के अनुसार मार्च 2025 तक कुल 879.59 टन के गोल्ड रिजर्व में से 511.99 टन सोना भारत में ही रखा गया है, वहीं 348.62 टन सोना इंग्लैंड के बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में सुरक्षित रखा गया है। करीब 18.98 टन सोना गोल्ड डिपॉजिट के रूप में है।