TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

15-05-2025

सोलर एनर्जी से कार्बन डाइऑक्साइड को क्लीन फ्यूल में बदला

  •  क्लीन और ग्रीन फ्यूल एनर्जी की दिशा में एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (हिट्स) चेन्नई के प्रोफेसर इंद्रजीत शोवन ने सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हुे कार्बन डाइऑक्साइड को रिन्यूएबल क्लीन फ्यूल में बदलने तरीका डवलप करने का दावा किया है। विज्ञान पत्रिका नैनो एनर्जी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह नई विधि नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी की एक टीम की मदद से विकसित की गई है। इस विधि को क्लाइमेट चेंज से मुकाबले के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। प्रोफेसर शॉन और उनकी टीम ने एक विशेष मैटीरियल तैयार किया है जो सूर्य के प्रकाश को पकड़ता है और इसका उपयोग कार्बन मोनो ऑक्साइड को एसिटैल्डिहाइड नामक फ्यूल में बदलने के लिए करता है। यह मैटीरियल रिन्यूएबल एनर्जी बनाने में मदद करता है। •िाक और सल्फर (जस्ता और गंधक) आधारित कंपाउंड्स से इस मैटीरियल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह प्रक्रिया पुरानी विधियों की तुलना में बहुत तेज और अधिक प्रभावी हो जाती है। कार्बन डाई ऑक्साइड या पानी को सोलर फ्यूल में बदलने के लिए सोलर एनर्जी के इस्तेमाल से एनर्जी और एनवायर्नमेंट दोनों के चैलेंज कम किए जा सकते हैं। प्रोफेसर शॉन के अनुसार यह सिस्टम पुराने वाले के मुकाबले 200 गुना ज्यादा प्रभावी है। यह किसी खास लाइट की जगह सनलाइट का इस्तेमाल करता है जिससे सुरक्षित और प्रभावी तरीके से फ्यूल बनता है। टेस्ट में यह भी पता चला कि फ्यूल वास्तव में कार्बन मोनोऑक्साइड से ही बना है किसी अन्य बाहरी स्रोत से नहीं। हिट्स के वाइस चांसलर डॉ. एसएन श्रीधार कहते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े चैलेंज क्लाइमेट चेंज से निपटने की दिशा में यह बड़ा काम है। इसके जरिए सोलर पावर का इस्तेमाल कर नुकसानदायक गैसों को इस्तेमाल लायक बनाया जा सकता है। नेशनल ताईवान यूनिवर्सिटी की टीम को उम्मीद है कि एआई के जरिए क्लीन एनर्जी के लिए बेहतर मैटीरियल तलाशे जा सकते हैं। 

Share
सोलर एनर्जी से कार्बन डाइऑक्साइड को क्लीन फ्यूल में बदला

 क्लीन और ग्रीन फ्यूल एनर्जी की दिशा में एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (हिट्स) चेन्नई के प्रोफेसर इंद्रजीत शोवन ने सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हुे कार्बन डाइऑक्साइड को रिन्यूएबल क्लीन फ्यूल में बदलने तरीका डवलप करने का दावा किया है। विज्ञान पत्रिका नैनो एनर्जी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह नई विधि नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी की एक टीम की मदद से विकसित की गई है। इस विधि को क्लाइमेट चेंज से मुकाबले के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। प्रोफेसर शॉन और उनकी टीम ने एक विशेष मैटीरियल तैयार किया है जो सूर्य के प्रकाश को पकड़ता है और इसका उपयोग कार्बन मोनो ऑक्साइड को एसिटैल्डिहाइड नामक फ्यूल में बदलने के लिए करता है। यह मैटीरियल रिन्यूएबल एनर्जी बनाने में मदद करता है। •िाक और सल्फर (जस्ता और गंधक) आधारित कंपाउंड्स से इस मैटीरियल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह प्रक्रिया पुरानी विधियों की तुलना में बहुत तेज और अधिक प्रभावी हो जाती है। कार्बन डाई ऑक्साइड या पानी को सोलर फ्यूल में बदलने के लिए सोलर एनर्जी के इस्तेमाल से एनर्जी और एनवायर्नमेंट दोनों के चैलेंज कम किए जा सकते हैं। प्रोफेसर शॉन के अनुसार यह सिस्टम पुराने वाले के मुकाबले 200 गुना ज्यादा प्रभावी है। यह किसी खास लाइट की जगह सनलाइट का इस्तेमाल करता है जिससे सुरक्षित और प्रभावी तरीके से फ्यूल बनता है। टेस्ट में यह भी पता चला कि फ्यूल वास्तव में कार्बन मोनोऑक्साइड से ही बना है किसी अन्य बाहरी स्रोत से नहीं। हिट्स के वाइस चांसलर डॉ. एसएन श्रीधार कहते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े चैलेंज क्लाइमेट चेंज से निपटने की दिशा में यह बड़ा काम है। इसके जरिए सोलर पावर का इस्तेमाल कर नुकसानदायक गैसों को इस्तेमाल लायक बनाया जा सकता है। नेशनल ताईवान यूनिवर्सिटी की टीम को उम्मीद है कि एआई के जरिए क्लीन एनर्जी के लिए बेहतर मैटीरियल तलाशे जा सकते हैं। 


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news