कुछ लोग होते हैं जो पशु-पक्षियों की आवाज से यह समझ लेते हैं कि वो कहना क्या चाहते हैं। पैट पेरेंट्स यानी जो कुत्ते-बिल्ली पालते हैं वो भी समझ जाते हैं कि उनका प्यारा टॉमी क्यों मिमिया रहा है। लेकिन चीन की एक कंपनी को यह डोमेन बड़ा रोचक लग रहा है और एआई के जरिए पशुओं की भाषा को डीकोड करने की कोशिश कर रही है। चीनी टेक कंपनी दरअसल पता यह लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वाकई एआई का उपयोग करके म्याऊं-म्याऊं को मानव भाषा में अनुवाद करना संभव है। चीन के सबसे बड़े सर्च इंजन की मालिक बायदू ने चीन की पेटेंट अथॉरिटी में एक पेटेंट दायर किया है। जिसमें जानवरों की आवाजों को मानव भाषा में बदलने के लिए एक सिस्टम डिजायन करने का प्रपोजल है। वैज्ञानिक लंबे समय से जानवरों के संवाद को डिकोड करने की कोशिश कर रहे हैं और बायदू एआई के जरिए इसी गुत्थी को सुलझाना चाहती है। रिपोर्ट्स के अनुसार यह सिस्टम जानवरों के डेटा को कलेक्ट करेगा जिसमें उनकी आवाज, व्यवहारिक पैटर्न और हाव-भाव शामिल होंगे। इस डेटा को प्रीप्रोसेस और मर्ज करने के बाद एआई बेस्ड एनेलिसिस से जानवर की भावनात्मक स्थिति को समझने की कोशिश की जाएगी। फिर इन भावनात्मक स्थितियों को अर्थपूर्ण भावों के साथ जोडक़र इसका मानव भाषा में अनुवाद किया जाएगा। इस सिस्टम से जानवरों और मनुष्यों के बीच गहरे भावनात्मक संवाद और समझ को बढ़ावा मिल सकता है। पेटेंट दस्तावेज में कहा गया है कि इससे दो प्रजातियों (मनुष्य और पशुओं) के बीच आपसी संवाद में स्पष्टता आएगी। बायदू की प्रवक्ता ने कहा हमारी इस पेटेंट आवेदन को दायर करने में काफी रुचि रही है’। जब बायदू की प्रवक्ता से पूछा गया कि कंपनी इस पेटेंट को कितनी जल्दी एक प्रॉडक्ट में बदल सकती है तो उन्होंने कहा फिलहाल यह भी रिसर्च के दौर में है। बायदू उन पहली प्रमुख चीनी कंपनियों में से एक थी जिन्होंने 2022 में ओपनएआई के चैटजीपीटी के लॉन्च होने के बाद एआई में बड़ा इंवेस्टमेंट किया था। इसने पिछले महीने अपना लेटेस्ट एआई मॉडल अर्नी 4.5 टर्बो रिलीज किया था जिसमें कहा गयाकि यह कई बेंचमार्क टेस्ट में इंडस्ट्री बेस्ट के बराबर है। हालांकि अर्नी चैटबॉट को कड़े मुकाबले के कारण ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई। चीन के इतर दुनिया के कई अन्य देशों में जानवरों की आवाजों की डीकोड करने के प्रयास चल रहे हैं। इंटरनेशनल रिसर्चरों ने प्रोजेक्ट सीईटीआई (सीटेसियन ट्रांसलेशन इनीशियेटिव) के तहत 2020 से सांख्यिकीय विश्लेषण और एआई का उपयोग करके यह समझने की कोशिश की है कि स्पर्म व्हेल आपस में बात कैसे करती हैं जबकि अर्थ स्पीशीज प्रॉजेक्ट जिसमें लिंक्डइन के रीड हॉफमैन ने पैसा लगाया है एआई का उपयोग करके जानवरों के संचार को डिकोड करने की कोशिश कर रहा है।