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10-05-2025

इसरो स्पेस क्यों लड़ा रहा सैटेलाइट्स

  •  गुरु गोविंद सिंह जी का यह तकियाकलाम आपने भी सुना होगा...सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिडियन ते मैं बा•ा तुड़ाऊं...। महाकवि बिहारी कहते हैं...सतसई के दोहे ज्यों नाविक के तीर...देखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर...। भारत सरकार इसी दिशा में काम कर रही है। और इसका नजारा इन दिनों आपको भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही गर्मा गर्मी में साफ नजर आ रहा है। टेक्नोलॉजिकल वॉरफेयर में घाव गहरा होता है और इंसानी शहादत कम होती है। भारत और पाकिस्तान के बीच कभी भी फाइटर जेट्स में डॉगफाइट की खबर आ सकती है। डॉगफाइट यानी एयरक्राफ्ट्स में लड़ाई। लेकिन भारत के इसरो ने पिछले दिनों धरती से 500 किमी ऊपर स्पेस में सैटेलाइट्स में डॉगफाइट का ट्रायल या कहें तो युद्धाभ्यास किया। डॉगफाइट का मतलब कभी ये नजदीक आते हैं, कभी दूर जाते हैं कभी एक-दूसरे की ओर अटैक करने के लिए तेजी से आते हैं। डॉगफाइट में एक चे•ार (धावा बोलने वाला) होता है और एक टार्गेट। सैटेलाइट्स में डॉगफाइट कोई आम बात नहीं है। पिछले साल चीन ने लोअर अर्थ ऑर्बिट में सैटेलाइट्स के बीच डॉगफाइट का ट्रायल किया था। इसरो का यह ट्रायल स्पेडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन के तहत किया गया है। आपको याद होगा हाल ही इसरो ने स्पेस में डॉकिंग का कामयाब ट्रायल किया था। भरोसा करना मुश्किल है लेकिन डॉगफाइट में शामिल दोनों भारतीय सैटेलाइट्स स्पेस में 28,800 किमी की रफ्तार से सरपट दौड़ रहे हैं। यह कोई आम स्पीड नहीं है। यह पैसेंजर जेट एयरक्राफ्ट से 28 गुना तेज और गोली की रफ्तार से दस गुना है। स्पेडेक्स मिशन में भारत ने दो बार कामयाबी से डॉकिंग और अनडॉकिंग कर चुका है। डॉकिंग यानी स्पेस स्टेशन से जुडऩा और अनडॉकिंग यानी स्पेस स्टेशन से अलग होना। इसरो चीफ वी नारायणन के अनुसार इन डॉकिंग और अनडॉकिंग ट्रायल के बाद दोनों सैटेलाइट्स में 50 परसेंट फ्यूल बचा हुआ था। एनेलिस्ट कहते हैं कि डॉकिंग और डॉगफाइट के जरिए इसरो अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। भारत ने जहां डॉगफाइट में दो सैटेलाइट्स का इस्तेमाल किया वहीं चीन के कई सैटेलाइट्स ने डॉगफाइट की थी। डॉकिंग और अनडॉकिंग के साथ ही इसरो स्पेडेक्स मिशन में शामिल दोनों सैटेलाइट्स के बीच पावर ट्रांसफर करने का भी कामयाब ट्रायल कर चुका है। पावर ट्रांसफर ट्रायल में एक सैटेलाइट की पावर से दूसरे सैटेलाइट के हीटर एलीमेंट को चालू किया गया था। इसरो ने पिछले साल 30 दिसंबर को पीएसएलवी रॉकेट के जरिए स्पेडेक्स मिशन को लॉन्च किया था। आपको याद होगा वर्ष 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के कुछ दिनों बाद 30 मार्च 2019 को भारत ने मिसाइल से स्पेस में चक्कर लगाते सैटेलाइट को किल (मारने) करने का कामयाब ट्रायल किया था।

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इसरो स्पेस क्यों लड़ा रहा सैटेलाइट्स

 गुरु गोविंद सिंह जी का यह तकियाकलाम आपने भी सुना होगा...सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिडियन ते मैं बा•ा तुड़ाऊं...। महाकवि बिहारी कहते हैं...सतसई के दोहे ज्यों नाविक के तीर...देखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर...। भारत सरकार इसी दिशा में काम कर रही है। और इसका नजारा इन दिनों आपको भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही गर्मा गर्मी में साफ नजर आ रहा है। टेक्नोलॉजिकल वॉरफेयर में घाव गहरा होता है और इंसानी शहादत कम होती है। भारत और पाकिस्तान के बीच कभी भी फाइटर जेट्स में डॉगफाइट की खबर आ सकती है। डॉगफाइट यानी एयरक्राफ्ट्स में लड़ाई। लेकिन भारत के इसरो ने पिछले दिनों धरती से 500 किमी ऊपर स्पेस में सैटेलाइट्स में डॉगफाइट का ट्रायल या कहें तो युद्धाभ्यास किया। डॉगफाइट का मतलब कभी ये नजदीक आते हैं, कभी दूर जाते हैं कभी एक-दूसरे की ओर अटैक करने के लिए तेजी से आते हैं। डॉगफाइट में एक चे•ार (धावा बोलने वाला) होता है और एक टार्गेट। सैटेलाइट्स में डॉगफाइट कोई आम बात नहीं है। पिछले साल चीन ने लोअर अर्थ ऑर्बिट में सैटेलाइट्स के बीच डॉगफाइट का ट्रायल किया था। इसरो का यह ट्रायल स्पेडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन के तहत किया गया है। आपको याद होगा हाल ही इसरो ने स्पेस में डॉकिंग का कामयाब ट्रायल किया था। भरोसा करना मुश्किल है लेकिन डॉगफाइट में शामिल दोनों भारतीय सैटेलाइट्स स्पेस में 28,800 किमी की रफ्तार से सरपट दौड़ रहे हैं। यह कोई आम स्पीड नहीं है। यह पैसेंजर जेट एयरक्राफ्ट से 28 गुना तेज और गोली की रफ्तार से दस गुना है। स्पेडेक्स मिशन में भारत ने दो बार कामयाबी से डॉकिंग और अनडॉकिंग कर चुका है। डॉकिंग यानी स्पेस स्टेशन से जुडऩा और अनडॉकिंग यानी स्पेस स्टेशन से अलग होना। इसरो चीफ वी नारायणन के अनुसार इन डॉकिंग और अनडॉकिंग ट्रायल के बाद दोनों सैटेलाइट्स में 50 परसेंट फ्यूल बचा हुआ था। एनेलिस्ट कहते हैं कि डॉकिंग और डॉगफाइट के जरिए इसरो अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। भारत ने जहां डॉगफाइट में दो सैटेलाइट्स का इस्तेमाल किया वहीं चीन के कई सैटेलाइट्स ने डॉगफाइट की थी। डॉकिंग और अनडॉकिंग के साथ ही इसरो स्पेडेक्स मिशन में शामिल दोनों सैटेलाइट्स के बीच पावर ट्रांसफर करने का भी कामयाब ट्रायल कर चुका है। पावर ट्रांसफर ट्रायल में एक सैटेलाइट की पावर से दूसरे सैटेलाइट के हीटर एलीमेंट को चालू किया गया था। इसरो ने पिछले साल 30 दिसंबर को पीएसएलवी रॉकेट के जरिए स्पेडेक्स मिशन को लॉन्च किया था। आपको याद होगा वर्ष 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के कुछ दिनों बाद 30 मार्च 2019 को भारत ने मिसाइल से स्पेस में चक्कर लगाते सैटेलाइट को किल (मारने) करने का कामयाब ट्रायल किया था।


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