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02-05-2025

धरती का अपना सूरज...

  •  पिछले दिनों आपने खबर सुनी होगी चीन के सूरज की। अब चर्चा है कि भारत सहित दुनिया के 30 देशों के साइंटिस्ट्स न्यूक्लियर फ्यूजन प्रॉजेक्ट पर एक बड़े माइलस्टोन के करीब पहुंच गए हैं। न्यूक्लियर फ्यूजन यानी परमाणु संलयन की क्रिया सूरज के अंदर होती है और इसी से अथाह, अनवरत एनर्जी जेनरेट होती है। न्यूक्लियर फ्यूजन यानी दो परमाणुओं के मिलन से एक अणु बनना। हम और आप जिस न्यूक्लियर रिएक्टर को जानते हैं उसमें न्यूक्लियर फिशन की क्रिया होती है। न्यूक्लियर फिशन यानी एक अणु के टूटने से दो परमाणु बनना। रिपोर्ट कहती हैं कि न्यूक्लियर फिशन के इस 30 देशों के जॉइंट प्रॉजेक्ट के तहत एक बहुत पावरफुल मैग्नेट बनाने का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। सेंट्रल सोलेनॉइड नाम की इस मैग्नेट के अमेरिका में ट्रायल पूरे हो चुके हैं और फिलहाल असेंबली चल रही है। इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) नाम का यह प्रॉजेक्ट कोई बीस साल देरी से चल रहा है और इसमें परमाणु संलयन यानी न्यूक्लियर फ्यूजन की क्रिया से एनर्जी जेनरेट होगी। यह प्रॉजेक्ट दक्षिणी फ्रांस में लगाया जा रहा है और इसमें अमेरिका, चीन, जापान, रूस और यूरोपीय संघ भी पार्टनर हैं। इस आईटीईआर में अत्यधिक गर्म प्लाज्मा कणों कंट्रोल करने के लिए एक पिंजरा बनाने की जरूरत है और यह काम बहुत पावरफुल मैग्नेट से किया जाएगा। आईटीईआर के महानिदेशक पिएत्रो बाराबास्ची इसे समझाते हुए कहते हैं कि यह शराब की बोतल में बोतल की तरह है। हालांकि बोतल नहीं शराब अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन शराब को पैक रखने के लिए बोतल की जरूरत होती है।  परमाणु संलयन में दरअसल दो हल्के परमाणु नाभिकों के जुड़ाव से एक भारी नाभिक का निर्माण होती है और इस प्रक्रिया में अथाह एनर्जी रिलीज होती है। यह वही प्रक्रिया है जो सूर्य और अन्य तारों को शक्ति प्रदान करती है। आईटीईआर में फ्यूल के रूप में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम का उपयोग किया जाएगा। इन्हें प्लाज्मा में बदलने के लिए 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस यानी सूर्य के कोर के तापमान से भी दस गुना ज्यादा गर्म किया जाता है। गर्म प्लाज्मा को डोनट के आकार के चैंबर में अंदर रखा जाता है जिसे टोकमक कहा जाता है और इसी में पावरफुल सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट का उपयोग किया जाता है। यह प्लाज्मा को दीवारों को छूने और ठंडा होने से रोकता है। मैग्नेट का काम वैसे 2021 में पूरा होना था। माना जा रहा है कि प्लाज्मा उत्पादन के साथ ही आईटीईआर प्रॉजेक्ट का स्टार्टअप चरण 2033 में शुरू होगा।

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धरती का अपना सूरज...

 पिछले दिनों आपने खबर सुनी होगी चीन के सूरज की। अब चर्चा है कि भारत सहित दुनिया के 30 देशों के साइंटिस्ट्स न्यूक्लियर फ्यूजन प्रॉजेक्ट पर एक बड़े माइलस्टोन के करीब पहुंच गए हैं। न्यूक्लियर फ्यूजन यानी परमाणु संलयन की क्रिया सूरज के अंदर होती है और इसी से अथाह, अनवरत एनर्जी जेनरेट होती है। न्यूक्लियर फ्यूजन यानी दो परमाणुओं के मिलन से एक अणु बनना। हम और आप जिस न्यूक्लियर रिएक्टर को जानते हैं उसमें न्यूक्लियर फिशन की क्रिया होती है। न्यूक्लियर फिशन यानी एक अणु के टूटने से दो परमाणु बनना। रिपोर्ट कहती हैं कि न्यूक्लियर फिशन के इस 30 देशों के जॉइंट प्रॉजेक्ट के तहत एक बहुत पावरफुल मैग्नेट बनाने का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। सेंट्रल सोलेनॉइड नाम की इस मैग्नेट के अमेरिका में ट्रायल पूरे हो चुके हैं और फिलहाल असेंबली चल रही है। इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) नाम का यह प्रॉजेक्ट कोई बीस साल देरी से चल रहा है और इसमें परमाणु संलयन यानी न्यूक्लियर फ्यूजन की क्रिया से एनर्जी जेनरेट होगी। यह प्रॉजेक्ट दक्षिणी फ्रांस में लगाया जा रहा है और इसमें अमेरिका, चीन, जापान, रूस और यूरोपीय संघ भी पार्टनर हैं। इस आईटीईआर में अत्यधिक गर्म प्लाज्मा कणों कंट्रोल करने के लिए एक पिंजरा बनाने की जरूरत है और यह काम बहुत पावरफुल मैग्नेट से किया जाएगा। आईटीईआर के महानिदेशक पिएत्रो बाराबास्ची इसे समझाते हुए कहते हैं कि यह शराब की बोतल में बोतल की तरह है। हालांकि बोतल नहीं शराब अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन शराब को पैक रखने के लिए बोतल की जरूरत होती है।  परमाणु संलयन में दरअसल दो हल्के परमाणु नाभिकों के जुड़ाव से एक भारी नाभिक का निर्माण होती है और इस प्रक्रिया में अथाह एनर्जी रिलीज होती है। यह वही प्रक्रिया है जो सूर्य और अन्य तारों को शक्ति प्रदान करती है। आईटीईआर में फ्यूल के रूप में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम का उपयोग किया जाएगा। इन्हें प्लाज्मा में बदलने के लिए 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस यानी सूर्य के कोर के तापमान से भी दस गुना ज्यादा गर्म किया जाता है। गर्म प्लाज्मा को डोनट के आकार के चैंबर में अंदर रखा जाता है जिसे टोकमक कहा जाता है और इसी में पावरफुल सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट का उपयोग किया जाता है। यह प्लाज्मा को दीवारों को छूने और ठंडा होने से रोकता है। मैग्नेट का काम वैसे 2021 में पूरा होना था। माना जा रहा है कि प्लाज्मा उत्पादन के साथ ही आईटीईआर प्रॉजेक्ट का स्टार्टअप चरण 2033 में शुरू होगा।


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