TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

16-09-2025

ट्रम्प टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर होने वाले प्रभावों पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला

  •  ओम कोठारी इंस्टीट्यूट, सिटीजन काउंसिल फॉर हायर एजुकेशन एवं आईएसटीडी कोटा चेप्टर के संयुक्त तत्वावधान में ‘ट्रम्प टैरिफ के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव एवं कूटनीतिक विकल्प’ पर इंस्टीट्यूट सभागार में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. बी पी सारस्वत, कार्यशाला संयोजक अर्थशास़्त्री डॉ. गोपाल सिंह, संस्थान निदेशक अमित सिंह राठौड़, आईएसटीडी की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिता चौहान आदि ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। कोटा विवि के कुलगुरू प्रो. बीपी सारस्वत ने कहा कि भारत के हर क्षेत्र ने आपदा और चुनौतियों के समय नये अवसर निकालकर देश को ओर अधिक मजबूत किया है। प्रो. निमित चौधरी ने कहा कि बदलते वैश्विक दौर में हमें हॉलिस्टिक एप्रोच से कूटनीतिक विकल्प ढूंढने होंगे। ट्रम्प की नई टैरिफ से हमारे कृषि, डेयरी प्रॉडक्ट व टेक्सटाइल्स प्रभावित होंगे। उसका सामना करने के लिये कृषि को नई तकनीक से जोडक़र कम कीमत पर अच्छे उत्पाद निर्यात करने होंगे। पैनल चर्चा में एस.एस.आई. एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल ने कहा कि भारत के पास लिथियम और यूरेनियम विकसित देशो से अधिक है। हम सरसों के तेल के सबसे बड़े उत्पादक हैं। दुनिया के 19 देशों से भारत के फ्री ट्रेड संबंध हैं। हम उच्च तकनीक अपनाकर अपने उत्पादों की कीमतें कम करें। भारत सरकार उद्यमियों से एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कार्पोरेशन (ईसीजीसी) शुल्क लेती है उसे अन्य देशों के लिये शून्य कर दे। लॉजिस्टिक में टैक्स बहुत अधिक है, उसके लिये कंटेनर्स की पूरी व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि भारतीय हर्बल पेस्टिसाइड के बिना तैयार हो रही है। इनको भारत से आयात करना अमेरिका की मजबूरी है। ऑटोमोबाइल्स में सेस को जीएसटी में बदलकर राहत दे सकते हैं। देश में पावर स्टोरेज बढ़ायें। अर्थशास्त्री डॉ. गोपाल सिंह ने कहा कि ट्रम्प टैरिफ भारत पर आर्थिक आघात अवश्य है लेकिन यह निर्णय अमेरिका के लिये भी दुखद साबित हो रहा है। इससे वहां महंगाई दर, रोजगार, सप्लाई चेन सब ब्लॉक हो गया है। टैरिफ में बदलाव से भारत में रोजगार, वस्त्र आभूषण, लघु उद्योग, ऑटो पार्ट्स आदि प्रभावित होंगे। अमेरिका भारतीय आउटसोर्स पर अतिरिक्त टैरिफ लगा सकता है। लेकिन भारत सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म से जीडीपी में गिरावट को संभाला है। हमारे स्वदेशी उत्पादों के उपभोग से गुणात्मक सुधार आ सकता है। कार्यशाला में पैनल सदस्य लघु उद्योग काउंसिल के संस्थापक एलसी बाहेती, कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं कपड़ा व्यापार संघ के अध्यक्ष गिरिराज न्याती, डायमंड एंड ज्वैलरी एसोसिएशन के ओम जैन सराफ समेत ऑटोमोबाइल्स उद्यमी उपस्थित थे।

Share
ट्रम्प टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर होने वाले प्रभावों पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला

 ओम कोठारी इंस्टीट्यूट, सिटीजन काउंसिल फॉर हायर एजुकेशन एवं आईएसटीडी कोटा चेप्टर के संयुक्त तत्वावधान में ‘ट्रम्प टैरिफ के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव एवं कूटनीतिक विकल्प’ पर इंस्टीट्यूट सभागार में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. बी पी सारस्वत, कार्यशाला संयोजक अर्थशास़्त्री डॉ. गोपाल सिंह, संस्थान निदेशक अमित सिंह राठौड़, आईएसटीडी की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिता चौहान आदि ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। कोटा विवि के कुलगुरू प्रो. बीपी सारस्वत ने कहा कि भारत के हर क्षेत्र ने आपदा और चुनौतियों के समय नये अवसर निकालकर देश को ओर अधिक मजबूत किया है। प्रो. निमित चौधरी ने कहा कि बदलते वैश्विक दौर में हमें हॉलिस्टिक एप्रोच से कूटनीतिक विकल्प ढूंढने होंगे। ट्रम्प की नई टैरिफ से हमारे कृषि, डेयरी प्रॉडक्ट व टेक्सटाइल्स प्रभावित होंगे। उसका सामना करने के लिये कृषि को नई तकनीक से जोडक़र कम कीमत पर अच्छे उत्पाद निर्यात करने होंगे। पैनल चर्चा में एस.एस.आई. एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल ने कहा कि भारत के पास लिथियम और यूरेनियम विकसित देशो से अधिक है। हम सरसों के तेल के सबसे बड़े उत्पादक हैं। दुनिया के 19 देशों से भारत के फ्री ट्रेड संबंध हैं। हम उच्च तकनीक अपनाकर अपने उत्पादों की कीमतें कम करें। भारत सरकार उद्यमियों से एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कार्पोरेशन (ईसीजीसी) शुल्क लेती है उसे अन्य देशों के लिये शून्य कर दे। लॉजिस्टिक में टैक्स बहुत अधिक है, उसके लिये कंटेनर्स की पूरी व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि भारतीय हर्बल पेस्टिसाइड के बिना तैयार हो रही है। इनको भारत से आयात करना अमेरिका की मजबूरी है। ऑटोमोबाइल्स में सेस को जीएसटी में बदलकर राहत दे सकते हैं। देश में पावर स्टोरेज बढ़ायें। अर्थशास्त्री डॉ. गोपाल सिंह ने कहा कि ट्रम्प टैरिफ भारत पर आर्थिक आघात अवश्य है लेकिन यह निर्णय अमेरिका के लिये भी दुखद साबित हो रहा है। इससे वहां महंगाई दर, रोजगार, सप्लाई चेन सब ब्लॉक हो गया है। टैरिफ में बदलाव से भारत में रोजगार, वस्त्र आभूषण, लघु उद्योग, ऑटो पार्ट्स आदि प्रभावित होंगे। अमेरिका भारतीय आउटसोर्स पर अतिरिक्त टैरिफ लगा सकता है। लेकिन भारत सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म से जीडीपी में गिरावट को संभाला है। हमारे स्वदेशी उत्पादों के उपभोग से गुणात्मक सुधार आ सकता है। कार्यशाला में पैनल सदस्य लघु उद्योग काउंसिल के संस्थापक एलसी बाहेती, कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं कपड़ा व्यापार संघ के अध्यक्ष गिरिराज न्याती, डायमंड एंड ज्वैलरी एसोसिएशन के ओम जैन सराफ समेत ऑटोमोबाइल्स उद्यमी उपस्थित थे।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news