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04-09-2025

‘महिन्द्रा थार’ के आगे रोड सेफ्टी लाचार

  •  भारत की सडक़ें वैसे भी किसी एडवेंचर से कम नहीं हैं और महिन्द्रा थार के ड्राइवर तो अपने आपको सडक़ों के सिकंदर समझते हैं। नतीजा भारत में वर्ष 2023 के दौरान 4.8 लाख से अधिक रोड एक्सीडेंट हुए जिनमें लगभग 1.72 लाख लोगों की जान चली गई। राज्यों में, नेशनल हाईवे पर सबसे अधिक एक्सीडेंट तमिलनाडु में हुए। रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज मिनिस्ट्री ने अपनी सालाना रिपोर्ट ...रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया-2023 में कहा है कि लगातार हाईवे की क्वॉलिटी में सुधार होने और वेहीकल्स के सेफ्टी बेंचमार्क में सुधार के बावजूद रोड़ एक्सीडेंट्स गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। विशेष रूप से 18 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों की रोड़ एक्सीडेंट्स में मौतें और चोटें परिवारों और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तुलना में वर्ष 2023 का आंकड़ा रोड़ एक्सीडेंट्स में 4.2 परसेंट और डेथ रेट में 2.6 परसेंट की ग्रोथ दिखाता है। आंकड़ों से पता चलता है कि रोड़ एक्सीडेंट्स में होने वाली कुल मौतों में 68 परसेंट पैदल यात्री, साइकल चालक और टू-व्हीलर राइडर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 4,80,583 रोड़ एक्सीडेंट्स में से 1,50,177 (31.2 परसेंट) नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर हुए, 1,05,622 (22.0 परसेंट) स्टेट हाईवे पर और शेष 2,24,744 (46.8 परसेंट) अन्य सडक़ों पर हुए। नेशनल हाईवे पर रोड़ एक्सीडेंट्स के लिहाज से तमिलनाडु सबसे ऊपर रहा, जबकि मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा। पीडि़तों की आयु-प्रोफाइल गंभीर चिंता का विषय है। वर्ष 2023 में कुल पीडि़तों में से 18 से 45 वर्ष के युवाओं की हिस्सेदारी 66.4 परसेंट रही, जबकि कुल मौतों में से 83.4 परसेंट कामकाजी आयु वर्ग (18 से 60 वर्ष) के लोग थे। रिपोर्ट के अनुसार महामारी के दौरान वर्ष 2020 में दुर्घटनाओं और मौतों में भले ही बड़ी गिरावट आई थी, लेकिन उस वर्ष दुर्घटनाएं कहीं अधिक घातक साबित हुईं। उस समय दुर्घटना की गंभीरता 37.2 तक पहुंच गई थी, जो 2023 में घटकर 36 पर आ गई। कुल मौतों में से 68 परसेंट से अधिक मौतें ओवर-स्पीडिंग के कारण हुईं। वहीं कुल मौतों में लगभग 44 परसेंट दोपहिया सवारों की थी। इनमें से लगभग 27,539 मौतें दूसरी दोपहिया गाडिय़ों द्वारा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के चलते हुईं। रोड़ एक्सीडेंट्स में मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश 23,652 मौतों के साथ अव्वल रहा। वहीं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में सबसे कम केवल 24 मौतें दर्ज की गईं। दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में दिल्ली, बेंगलुरु और जयपुर में सबसे अधिक मौतें हुईं, जबकि अमृतसर, चंडीगढ़ और श्रीनगर में सबसे कम मौतें दर्ज की गईं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में मोबाइल फोन के उपयोग से जुड़े हादसों में मौतों के मामले में पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश रहा जहां 1,815 मौतें हुईं, जबकि मध्य प्रदेश में 185 मौतें दर्ज की गईं। इसी तरह नशे में गाड़ी चलाने से हुए एक्सीडेंट में मौत के लिहाज से यूपी 1822 मौतों के साथ अव्वल रहा।

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‘महिन्द्रा थार’ के आगे रोड सेफ्टी लाचार

 भारत की सडक़ें वैसे भी किसी एडवेंचर से कम नहीं हैं और महिन्द्रा थार के ड्राइवर तो अपने आपको सडक़ों के सिकंदर समझते हैं। नतीजा भारत में वर्ष 2023 के दौरान 4.8 लाख से अधिक रोड एक्सीडेंट हुए जिनमें लगभग 1.72 लाख लोगों की जान चली गई। राज्यों में, नेशनल हाईवे पर सबसे अधिक एक्सीडेंट तमिलनाडु में हुए। रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज मिनिस्ट्री ने अपनी सालाना रिपोर्ट ...रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया-2023 में कहा है कि लगातार हाईवे की क्वॉलिटी में सुधार होने और वेहीकल्स के सेफ्टी बेंचमार्क में सुधार के बावजूद रोड़ एक्सीडेंट्स गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। विशेष रूप से 18 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों की रोड़ एक्सीडेंट्स में मौतें और चोटें परिवारों और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तुलना में वर्ष 2023 का आंकड़ा रोड़ एक्सीडेंट्स में 4.2 परसेंट और डेथ रेट में 2.6 परसेंट की ग्रोथ दिखाता है। आंकड़ों से पता चलता है कि रोड़ एक्सीडेंट्स में होने वाली कुल मौतों में 68 परसेंट पैदल यात्री, साइकल चालक और टू-व्हीलर राइडर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 4,80,583 रोड़ एक्सीडेंट्स में से 1,50,177 (31.2 परसेंट) नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर हुए, 1,05,622 (22.0 परसेंट) स्टेट हाईवे पर और शेष 2,24,744 (46.8 परसेंट) अन्य सडक़ों पर हुए। नेशनल हाईवे पर रोड़ एक्सीडेंट्स के लिहाज से तमिलनाडु सबसे ऊपर रहा, जबकि मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा। पीडि़तों की आयु-प्रोफाइल गंभीर चिंता का विषय है। वर्ष 2023 में कुल पीडि़तों में से 18 से 45 वर्ष के युवाओं की हिस्सेदारी 66.4 परसेंट रही, जबकि कुल मौतों में से 83.4 परसेंट कामकाजी आयु वर्ग (18 से 60 वर्ष) के लोग थे। रिपोर्ट के अनुसार महामारी के दौरान वर्ष 2020 में दुर्घटनाओं और मौतों में भले ही बड़ी गिरावट आई थी, लेकिन उस वर्ष दुर्घटनाएं कहीं अधिक घातक साबित हुईं। उस समय दुर्घटना की गंभीरता 37.2 तक पहुंच गई थी, जो 2023 में घटकर 36 पर आ गई। कुल मौतों में से 68 परसेंट से अधिक मौतें ओवर-स्पीडिंग के कारण हुईं। वहीं कुल मौतों में लगभग 44 परसेंट दोपहिया सवारों की थी। इनमें से लगभग 27,539 मौतें दूसरी दोपहिया गाडिय़ों द्वारा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के चलते हुईं। रोड़ एक्सीडेंट्स में मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश 23,652 मौतों के साथ अव्वल रहा। वहीं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में सबसे कम केवल 24 मौतें दर्ज की गईं। दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में दिल्ली, बेंगलुरु और जयपुर में सबसे अधिक मौतें हुईं, जबकि अमृतसर, चंडीगढ़ और श्रीनगर में सबसे कम मौतें दर्ज की गईं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में मोबाइल फोन के उपयोग से जुड़े हादसों में मौतों के मामले में पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश रहा जहां 1,815 मौतें हुईं, जबकि मध्य प्रदेश में 185 मौतें दर्ज की गईं। इसी तरह नशे में गाड़ी चलाने से हुए एक्सीडेंट में मौत के लिहाज से यूपी 1822 मौतों के साथ अव्वल रहा।


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