जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट का 80 फीसदी से ज्यादा एक्सपोर्ट अमेरिकन व यूरोपियन देशों में होता है पर इन दिनों इन दोनों क्षेत्रों के एक्सपोर्ट पर संकट मंडरा रहा है। जोधपुर के एक्सपोटर्र्स बिजनस को लेकर असमंजस में है, क्योंकि एक ओर अमरीका में जाने वाले प्रोडक्ट पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया गया है दूसरी ओर यूरोपियन देशों में वनों की कटाई रोकथाम विनियमन (ईयूडीआर) कानून लागू होने वाला है। इन दोनों की वजह से अमरीका व यूरोप के एक्सपोर्ट पर संकट की स्थिति बनने वाली है। इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार यूरोपियन देशों की ओर से बनाए गए ईयूडीआर नियम 31 दिसंबर 2025 से लगना प्रस्तावित है। इसके लागू होने के बाद आम व बबूल की लकड़ी से बने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करने पर भी संकट छा सकता है, क्योंकि इस कानून के तहत एक्सपोर्ट्र्स को इन प्रोडक्ट्स के साथ चेन ऑफ कस्टडी व एफएससी सर्टिफिकेट भी देना होगा। इन औपचारिकताओं में एक्सपोर्ट्र उलझ जाएंगे। जानकारी के अनुसार जोधपुर से सालाना 4500 से 5000 करोड़ रुपए का हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट होता है। इसमें से करीब 40 से 50 फीसदी एक्सपोर्ट यूरोपियन देशों में होता है। वहीं यूरोप को होने वाले एक्सपोर्ट का करीब 80 फीसदी एक्सपोर्ट वुडन प्रोडक्ट्स का होता है।
एक ही मार्केट पर डिपेंडेंस ने इंडस्ट्री को डाला मुश्किल में : इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार अमेरिका ने भारत के हैंडीक्राफ्ट और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जिसमें 25 फीसदी टैरिफ व 25 फीसदी एडिशनल पैनल्टी शामिल है। 27 अगस्त से लागू यह फैसला न केवल उद्योग जगत बल्कि लाखों कारीगरों की आजीविका के लिए भी बड़ा संकट बन गया है। हैंडीक्राफ्ट क्लस्टरों में तैयार माल गोदामों में अटका पड़ा है। पुराने ऑर्डर ठप हैं और एक्सपोर्ट्र्स का पैसा भी फंसा हुआ है। प्रोडक्शन आधे से ज्यादा घट चुका है और स्टाफ को सैलेरी देने में दिक्कत आ रही है। एक ही मार्केट पर डिपेंडेंस ने इंडस्ट्री को मुश्किल में डाल दिया है।
