अमेरिकी सरकार के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो कहते हैं रूसी तेल का भारत की जनता को नहीं ...ब्राह्मण प्रॉफिटीयर... को फायदा मिल रहा है। वैसे यह बेतुका है लेकिन सवाल शब्द का नहीं बल्कि भावना का है जो कुंठित नजर आ रही है। पिछले दिनों उन्होंने यूरोप के देशों को सलाह दी थी कि भारत पर जैसा टैरिफ हमने लगाया है वैसा ही तुम भी लगाओ। भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील और नो डील का कोई मुद्दा लगता है जैसे बचा ही नहीं है। क्योंकि रूसी तेल का खेल हो गया है। लेकिन बात सिर्फ रूसी तेल की नहीं है। भारत की पूरी एनर्जी सिक्यॉरिटी पर हमले की कोशिश के संकेत हैं। क्योंकि रशियन ऑइल के साथ ही अचानक पेट्रोल में एथेनॉल ब्लैंडिंग के मुद्दे को इंटरनेशनल मीडिया ने इतनी हवा दी है कि कंपनी से लेकर कस्टमर तक सबमें कन्फ्यूजन फैल गया। भारत सरकार पेट्रोल में 20 परसेंट एथेनॉल मिलाती है। सरकार का मानना है कि गन्ने, मक्का और चावल आदि से बने एथेनॉल से किसान की आमदनी बढ़ रही है और सरप्लस फसल से भी छुटकारा मिल रहा है। रिपोर्ट कहती हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 में एथेनॉल के बदले सरकार ने किसानों को 1.11 लाख करोड़ का पेमेंट किया जबकि वर्ष 2025 में जनवरी से अगस्त के बीच ही 1.04 लाख करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा जा चुका है। इससे देश को 1.44 लाख करोड़ रुपये के विदेशी मुद्रा की बचत हुई है और 736 लाख मेट्रिक टन कार्बन एमिशन घटाने में मदद मिली है। रिपोर्ट कहती हैं कि सस्ते तेल के इंपोर्ट से भारत को अब तक केवल 17 बि. डॉलर की बचत हुई है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। लेटेस्ट (सोमवार) रिपोर्ट कहती है कि सुप्रीम कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया है। ऑटोमोबाइल कंपनियों के फोरम सियाम ने कहा है कि एथेनॉल पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन इससे माइलेज में 2-4 परसेंट तक की गिरावट आ सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्लीन एनर्जी एजेंडा के तहत साल 2025 तक पेट्रोल में 20 परसेंट एथेनॉल ब्लैंडिंग का टार्गेट था। देश के लगभग सभी 90 हजार पेट्रोल पंपों पर यही ई20 पेट्रोल मिल रहा है। सियाम के एक्जेक्टिव डायरेक्टर पी.के. बनर्जी ने शनिवार को कहा कि लाखों वाहन काफी समय से ई20 पर चल रहे हैं, लेकिन अब तक एक भी इंजन फेल्योर या बड़ी खराबी की रिपोर्ट नहीं आई है और वारंटी और इंश्योरेंस क्लेम पूरी तरह मान्य होंगे।