देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई डिजिटल ट्रांजेक्शन को नई ऊंचाई पर ले जाने के प्लान पर काम कर रहा है। बैंक अब ग्राहकों को मोबाइल और कार्ड के अलावा की-चेन (चाबी का छल्ला) जैसे वीयरेबल डिवाइस से पेमेंट करने की सुविधा देने की तैयारी में है। एसबीआई ने वीयरेबल पेमेंट टेक्नोलॉजी अपनाने और डेबिट कार्ड को पर्सनलाइज व अपग्रेड करने के लिए कन्सल्टेंट्स को आमंत्रित किया है। की-चेन के अलावा, बैंक एनएफसी स्टिकर और सिलिकॉन बैंड जैसे विकल्प भी आजमाना चाहता है। एनेलिस्ट कहते हैं कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन को आम भाषा मेें वाई-फाई कार्ड कहते हैं, वह दरअसल एनएफसी तकनीक है। मशीन पर टैप करते ही लेन-देन पूरा हो जाता है। यही तकनीक एसबीआई आने वाले तीन साल में सभी डेबिट कार्ड में लाना चाहता है। एनएफसी तकनीक दो उपकरणों को आपस में पास लाने पर पेमेंट डाटा का आदान-प्रदान करने देती है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इसका काफी उपयोग होता है, लेकिन भारत में अभी तक एपल वॉच जैसे वीयरेबल एनएफसी डिवाइस का उपयोग सीमित है। एसबीआई इस तकनीक की ओर इसलिए भी देख रहा है क्योंकि डेबिट कार्ड का उपयोग तेजी से घट रहा है। यूपीआई और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, केवल जुलाई में 19.5 बिलियन यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जबकि क्रेडिट और डेबिट कार्ड मिलाकर सिर्फ 34.34 करोड़ बार इस्तेमाल हुए। एसबीआई ने प्रस्ताव में स्टिकर, की-चेन और सिलिकॉन बैंड भी शामिल किए हैं।