देश के विभिन्न राज्यों में बाढ़ एवं बरसात से गेहूं की आपूर्ति काफी घट गई है। दूसरी ओर सरकार द्वारा पिछले दिनों भारत ब्रांड आटा बाजार में आपूर्ति करने की बात कही गई थी वह भी योजना अभी शुरू नहीं हुई, जिस कारण गेहूं के भाव फिर से बढऩे लगे हैं। आपूर्ति में वृद्धि नहीं हुई तो गेहूं 2900 रुपए को शीघ्र पर कर जाएगा। यद्यपि इस बार गेहूं का उत्पादन 1153 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है, जो गत वर्ष की अपेक्षा लगभग 50 लाख मीट्रिक टन अधिक है। दूसरी ओर सरकार की अच्छी सूझबूझ से गेहूं की खरीद भी 300 लाख मीट्रिक टन के करीब हो चुका है, इस वजह गेहूं में इस बार विशेष तेजी का कारण नहीं बनता है। फिलहाल देश के विभिन्न राज्यों में अधिक बरसात एवं बाढ़ के चलते गेहूं की आपूर्ति घट गई है। दूसरी ओर आटा मैदा सूजी की लोकल व चालानी मांग वास्तविक खपत हेतु बढऩे लगी है। यही कारण है कि पिछले तीन-चार दिनों के अंतराल 2820/2825 रुपए प्रति कुंतल से बढक़र गेहूं के भाव 2860/2875 रुपए प्रति क्विंटल क्वालिटी के अनुसार हो गए हैं। आटा मैदा सूजी के भाव भी 20-40 रुपए प्रति 50 किलो बढ़ गए हैं। सरकार द्वारा पिछले दिनों दो योजनाओं का विस्तार किया था जिसमें पहला यह कि सरकार आने वाले समय में 2550 रुपए प्रति क्विंटल के रिजर्व प्राइस में गेहूं टेंडर द्वारा बचेगी, जैसा कि पूर्व में जुलाई के बाद से बिक्री किया जाता रहा है। दूसरी ओर सरकार द्वारा देश में लगभग 5 लाख मैट्रिक टन भारत ब्रांड आटा 5 किलो की थैली में बेचने की योजना थी, उसका टेंडर हो जाने की चर्चा है, लेकिन अभी तक बाजार में वह आटा बिकने के लिए सप्लाई नहीं हुआ। ये दोनों योजनाएं सुचारू रूप से धरातल पर नहीं उतरने से गेहूं की एक बार किल्लत बन गई है। सरकार के केंद्रीय पूल में गेहूं का भरपूर मात्रा में स्टॉक पड़ा हुआ है, जो सुचारू रूप से नई फसल आने तक भी सरकार प्रचुर मात्रा में टेंडर द्वारा बेचती रही, तब भी केंद्रीय पूल पर कोई विशेष स्टॉक के मामले में भार नहीं पड़ेगा। अत: आगे की तेजी मंदी सरकार की बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। फिलहाल देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है, इधर छोटे-बड़े कारोबारी तेजी मंदी के लिए स्टाक में गेहूं रोक भी लिए हैं, इन सारी परिस्थितियों से सप्लाई बाधित हुई है।