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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

03-09-2025

जीरा : चीन की पूछपरख निकलने से बाजार को सहारे के आसार

  •   ऊंझा में पिछले कुछ दिनों के दौरान बहुप्रतीक्षित चीन की पूछपरख निकल आई है। यदि सब कुछ सही रहा तो अगले महीने उसकी खरीद भी शुरू होने के आसार हैं। आवक सीमित ही बनी हुई है। अत: आगामी दिनों में जीरा बाजार को इस पूछपरख का थोड़ा-बहुत सहारा मिल सकता है। बीते कुछ दिनों से ऊंझा में चीन की पूछपरख निकलने की सूचनाएं आ रही हैं। इस पूछपरख का जीरे के व्यापारी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। उनका मानना है कि यदि सब कुछ सही रहा तो जल्दी ही शुरू होने वाले सितम्बर महीने में चीन की जीरे में खरीद भी शुरू हो सकती है। इधर, उत्तरी गुजरात को छोडक़र राज्य के अन्य हिस्सों में चालू मानसून सीजन में अभी तक अच्छी वर्षा हुई है। कई क्षेत्रों में तो बाढ़ भी आने की भी खबरें आ रही हैं। उधर, कीमत उम्मीद से नीची होने के कारण गुजरात के किसानों द्वारा हाल ही में अपनी जीरा फसल की बिक्री सीमित मात्रा में किए जाने के कारण ऊंझा मंड़ी में इस प्रमुख किराना जिंस की आवक सीमित ही बनी हुई है। यही वजह है कि अंतिम सूचना के समय ऊंझा में जीरे की करीब 7-9 हजार बोरियों की आवक होने की सूचनाएं आ रही हैं। नवीनतम आवक सामान्य की अपेक्षा काफी नीची है। नाममात्र की आवक के बाद भी विशेषकर निर्यातकों की लिवाली का अभाव बना हुआ है। इसी वजह से ऊंझा में जीरे की कीमत हाल ही में 50 रुपए मंदा होकर फिलहाल 3960/4000 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व हाल ही में इसमें 140-150 रुपए की तेजी आई थी। जीरे में आई इस नवीनतम तेजी का प्रमुख कारण यह है कि आवक अपेक्षाकृत रूप से नीची हो रही जबकि स्थानीय स्टॉकिस्टों और दिसावरों की लिवाली का समर्थन मिलने लगा है। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली कमजोर पडऩे से जीरा सामान्य हाल ही में 200 रुपए मंदा होकर फिलहाल 20,400/20,800 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें 200-300 रुपए की तेजी आई थी। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चीन में जीरे की नई फसल भी चल रही है और इस बार वहां इसका उत्पादन बढक़र 16 लाख टन के आसपास होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। तुर्की में नई फसल भी बाजारों में आ रही है। गृहयुद्ध के कारण सीरिया में इस बार उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के आरंभिक तीन महीनों में देश से 1514.61 करोड़ रुपए कीमत के 62,860.749 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 78,086.27 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 2097.47 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों में यदि चीन की खरीद शुरू होती है तो इससे जीरे को कुछ सहारा मिल सकता है।

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जीरा : चीन की पूछपरख निकलने से बाजार को सहारे के आसार

  ऊंझा में पिछले कुछ दिनों के दौरान बहुप्रतीक्षित चीन की पूछपरख निकल आई है। यदि सब कुछ सही रहा तो अगले महीने उसकी खरीद भी शुरू होने के आसार हैं। आवक सीमित ही बनी हुई है। अत: आगामी दिनों में जीरा बाजार को इस पूछपरख का थोड़ा-बहुत सहारा मिल सकता है। बीते कुछ दिनों से ऊंझा में चीन की पूछपरख निकलने की सूचनाएं आ रही हैं। इस पूछपरख का जीरे के व्यापारी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। उनका मानना है कि यदि सब कुछ सही रहा तो जल्दी ही शुरू होने वाले सितम्बर महीने में चीन की जीरे में खरीद भी शुरू हो सकती है। इधर, उत्तरी गुजरात को छोडक़र राज्य के अन्य हिस्सों में चालू मानसून सीजन में अभी तक अच्छी वर्षा हुई है। कई क्षेत्रों में तो बाढ़ भी आने की भी खबरें आ रही हैं। उधर, कीमत उम्मीद से नीची होने के कारण गुजरात के किसानों द्वारा हाल ही में अपनी जीरा फसल की बिक्री सीमित मात्रा में किए जाने के कारण ऊंझा मंड़ी में इस प्रमुख किराना जिंस की आवक सीमित ही बनी हुई है। यही वजह है कि अंतिम सूचना के समय ऊंझा में जीरे की करीब 7-9 हजार बोरियों की आवक होने की सूचनाएं आ रही हैं। नवीनतम आवक सामान्य की अपेक्षा काफी नीची है। नाममात्र की आवक के बाद भी विशेषकर निर्यातकों की लिवाली का अभाव बना हुआ है। इसी वजह से ऊंझा में जीरे की कीमत हाल ही में 50 रुपए मंदा होकर फिलहाल 3960/4000 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व हाल ही में इसमें 140-150 रुपए की तेजी आई थी। जीरे में आई इस नवीनतम तेजी का प्रमुख कारण यह है कि आवक अपेक्षाकृत रूप से नीची हो रही जबकि स्थानीय स्टॉकिस्टों और दिसावरों की लिवाली का समर्थन मिलने लगा है। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली कमजोर पडऩे से जीरा सामान्य हाल ही में 200 रुपए मंदा होकर फिलहाल 20,400/20,800 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें 200-300 रुपए की तेजी आई थी। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चीन में जीरे की नई फसल भी चल रही है और इस बार वहां इसका उत्पादन बढक़र 16 लाख टन के आसपास होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। तुर्की में नई फसल भी बाजारों में आ रही है। गृहयुद्ध के कारण सीरिया में इस बार उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के आरंभिक तीन महीनों में देश से 1514.61 करोड़ रुपए कीमत के 62,860.749 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 78,086.27 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 2097.47 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों में यदि चीन की खरीद शुरू होती है तो इससे जीरे को कुछ सहारा मिल सकता है।


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