इस बार रंगून में आई हुई फसल 23-24 प्रतिशत अधिक है, वहां भी निर्यातकों के माल ऊंचे भाव के स्टॉक में पड़े हुए हैं। इन सब के बावजूद भी एमपी महाराष्ट्र में अधिक बरसात होने से घरेलू फसल को नुकसान हुआ है, इसे देखते हुए अब मंदे की संभावना समाप्त हो गई है। उड़द की बिजाई मध्य प्रदेश महाराष्ट्र में 18 प्रतिशत अधिक होने की किसानी खबर आई थी, क्योंकि उड़द के ऊंचे भाव मिलने से बिजाई का मनोबल चौतरफा बढ़ा था। अब वर्तमान में उक्त दोनों राज्यों में अधिक बरसात होने से खेतों में पानी लग गया है तथा उड़द की फसल तैयार हो गई है, जिससे जो बिजाई अधिक हुई थी, उसमें भी 14-15 प्रतिशत सामान्य से फसल कम होने की अभी तक अटकलें लगाई जाने लगी है। आगे धूप निकलने पर वास्तविकता का पता लगेगा, कितना नुकसान है एवं कितना फसल ताजी है। अभी तक की फसल को देखते हुए गत वर्ष से उत्पादन बढऩे की बजाय कम होने की धारणा पक्की हो गई है। गौरतलब है कि उड़द की फसल को तैयार होने के समय में अधिक बरसात चौपट कर देती है, इसलिए जो मंडियों में माल है, उसमें लिवाली करना चाहिए तथा यहां भी जो उड़द एसक्यू 8100 रुपए बिक रही है, इसमें 300/400 रुपए जल्दी बढ़ सकते हैं। हम मानते हैं कि इस बार रंगून में भी उत्पादन अधिक होने से लगातार हाजिर लोडिंग चल रही है, चेन्नई वाले भी आए हुए माल में रिस्क नहीं उठा रहे हैं, कोलकाता में पिछले दिनों उतरे हुए एफ ए क्यू माल दबा हुआ था। इसे देखकर दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों के कारोबारियों ने मंदे को देखकर स्टॉक नहीं किया था। दाल मिल वाले भी जरूरत के माल लेकर चल रहे थे, इसलिए इधर माल की शॉर्टेज बन गया है। यही परिस्थितियों सितंबर में 600/700 की तेजी का कारण बनेगी?। चालू महीने नीचे के भाव से 30/35 डॉलर प्रति टन भाव बढ़ गया, क्योंकि वहां निर्यातक लोडिंग करने से पीछे हट गए। वर्तमान में 5/10 डॉलर प्रति टन मुलायम जरूर हुआ है, लेकिन घटे भाव में पीछे से माल नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर यहां पाइपलाइन में माल की कमी होने तथा दाल धोया एवं छिलका की चौतरफा मांग सुधरने बढक़र एसक्यू 8100 रुपए एवं एफ ए क्यू 7600 रुपए प्रति कुंतल हो गई है। लेकिन इस बढ़े हुए भाव में दो दिन से ग्राहकी कमजोरी है, जिससे 100 रुपए प्रति क्विंटल का मंदा आ गया है। चेन्नई में भी इनके भाव इसी अनुपात में तेज हो गए। रंगून में एसक्यू के भाव 845 डॉलर प्रति टन हो गए हैं। एफ ए क्यू के भाव भी 780-785 डॉलर पहुंच गए हैं। कलर की तुलना में रुपया कमजोर हो गया है, जिससे आयातकों का पड़ता महंगा हो गया है। उड़द का उत्पादन इस बार 49-50 लाख मीट्रिक टन का लगाया गया था जो पुन: 42-43 लाख टन रह जाने का अनुमान आने लगा है। लातूर उदगीर के साथ-साथ शिवपुरी कटनी जबलपुर लाइन में भी बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन उधर बरसात बहुत है।