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        प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों ने बताया कि पाल ने धन के ‘‘हस्तांतरण’’ में ‘‘महत्वपूर्ण’’ भूमिका निभाई क्योंकि उन्हें और कुछ अन्य लोगों को कंपनी बोर्ड ने एसईसीआई की बीईएसएस निविदा के लिए सभी दस्तावेजों को अंतिम रूप देने, अनुमोदित करने, हस्ताक्षर करने और बोली के लिए रिलायंस पावर की वित्तीय क्षमता का उपयोग करने का अधिकार दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि जांच में पाया गया कि कंपनी ने फिलीपीन के मनीला स्थित ‘फर्स्टरैंड बैंक’ से बैंक गारंटी जमा की थी लेकिन उक्त बैंक की उस देश में कोई शाखा नहीं है। धनशोधन का यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा नवंबर 2024 में दर्ज की गई एक प्राथमिकी से जुड़ा है। आरोप है कि कंपनी आठ प्रतिशत कमीशन पर ‘‘फर्जी’’ बैंक गारंटी जारी करने में शामिल थी। रिलायंस समूह ने तब कहा था कि रिलायंस पावर इस मामले में ‘‘धोखाधड़ी और जालसाजी की साजिश का शिकार’’ हुई है और उसने सात नवंबर, 2024 को स्टॉक एक्सचेंज में इस संदर्भ में उचित खुलासे किए थे। समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने अक्टूबर 2024 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में तीसरे पक्ष (आरोपी कंपनी) के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी और कानून की ‘‘उचित प्रक्रिया’’ का पालन किया जाएगा। ईडी के सूत्रों ने कहा था कि भुवनेश्वर स्थित कंपनी एसबीआई के ईमेल डोमेन से मिलते जुलते डोमेन का उपयोग कर रही थी जिससे लगे कि उसके द्वारा भेजे गए मेल देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस फर्जी डोमेन का इस्तेमाल एसईसीआई को ‘‘फर्जी’’ संदेश भेजने के लिए किया गया था। सूत्रों के अनुसार, ईडी की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कंपनी ने कमीशन के लिए ‘‘फर्जी’’ बिल भी जारी किए और कई ‘‘अघोषित’’ बैंक खातों का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि इन बैंक खातों के जरिए करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन किए गए। सूत्रों ने बताया था कि कंपनी ‘‘मात्र एक कागजी संस्था’’ है क्योंकि इसका पंजीकृत कार्यालय बिस्वाल के एक रिश्तेदार की आवासीय संपत्ति है और छापेमारी के दौरान पते पर कंपनी का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।