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11-06-2025

इंडिया का आधार मजबूत, आने वाले समय में बढ़ेगी विकास की रफ्तार : रिपोर्ट

  •  वैश्विक स्तर पर टैरिफ अनिश्चितता के बीच भारत का आधार मजबूत बना हुआ है और आने वाले समय में विकास में बढ़त दिखाई देगी। यह जानकारी एचएसबीसी म्यूचुअल फंड की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि टैरिफ वार के कारण सुरक्षित संपत्तियों की मांग उच्च स्तर पर बनी हुई है। इससे कैपिटल आउटफ्लो देखने को मिल रहा है, जिस कारण उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं जैसे भारत की मुद्रा पर दबाव बना हुआ है। आउटलुक रिपोर्ट में कहा गया, अमेरिका के साथ भारत का संपर्क, देश की व्यापार कूटनीति और नीतिगत दृष्टिकोण ने भारत को टैरिफ संबंधी चिंताओं के बीच लीडरबोर्ड पर ला खड़ा किया है, जिसने वैश्विक स्तर पर व्यापार और विकास के दृष्टिकोण को प्रभावित किया है। भारत में महंगाई में कमी ने आरबीआई एमपीसी को नीतिगत ढील के जरिए विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का मौका दिया है। एमपीसी के तटस्थ रुख की ओर बढऩे का मतलब है कि भविष्य में कटौती की गुंजाइश सीमित हो सकती है और यह भी कि यह आंकड़ों पर निर्भर रहेगा। एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, हमें रिन्यूएबल एनर्जी में निजी पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई दरों पर मौद्रिक नीति के त्वरित प्रभाव के लिए प्रणाली में तरलता को अधिशेष में बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा मानना है कि भारत में विकास चक्र अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच चुका है। ब्याज दर और तरलता चक्र, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और सामान्य मानसून, ये सभी भविष्य में विकास में तेजी लाने में सहायक हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि रियल एस्टेट मध्यम अवधि में वृद्धि का एक और मजबूत कारक बना हुआ है, जिसने उच्च ब्याज दरों के प्रभाव को झेला है। शीर्ष मेट्रो शहरों में मांग का रुझान मजबूत बना हुआ है और इन्वेंट्री के स्तर में गिरावट आई है।

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इंडिया का आधार मजबूत, आने वाले समय में बढ़ेगी विकास की रफ्तार : रिपोर्ट

 वैश्विक स्तर पर टैरिफ अनिश्चितता के बीच भारत का आधार मजबूत बना हुआ है और आने वाले समय में विकास में बढ़त दिखाई देगी। यह जानकारी एचएसबीसी म्यूचुअल फंड की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि टैरिफ वार के कारण सुरक्षित संपत्तियों की मांग उच्च स्तर पर बनी हुई है। इससे कैपिटल आउटफ्लो देखने को मिल रहा है, जिस कारण उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं जैसे भारत की मुद्रा पर दबाव बना हुआ है। आउटलुक रिपोर्ट में कहा गया, अमेरिका के साथ भारत का संपर्क, देश की व्यापार कूटनीति और नीतिगत दृष्टिकोण ने भारत को टैरिफ संबंधी चिंताओं के बीच लीडरबोर्ड पर ला खड़ा किया है, जिसने वैश्विक स्तर पर व्यापार और विकास के दृष्टिकोण को प्रभावित किया है। भारत में महंगाई में कमी ने आरबीआई एमपीसी को नीतिगत ढील के जरिए विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का मौका दिया है। एमपीसी के तटस्थ रुख की ओर बढऩे का मतलब है कि भविष्य में कटौती की गुंजाइश सीमित हो सकती है और यह भी कि यह आंकड़ों पर निर्भर रहेगा। एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, हमें रिन्यूएबल एनर्जी में निजी पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई दरों पर मौद्रिक नीति के त्वरित प्रभाव के लिए प्रणाली में तरलता को अधिशेष में बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा मानना है कि भारत में विकास चक्र अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच चुका है। ब्याज दर और तरलता चक्र, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और सामान्य मानसून, ये सभी भविष्य में विकास में तेजी लाने में सहायक हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि रियल एस्टेट मध्यम अवधि में वृद्धि का एक और मजबूत कारक बना हुआ है, जिसने उच्च ब्याज दरों के प्रभाव को झेला है। शीर्ष मेट्रो शहरों में मांग का रुझान मजबूत बना हुआ है और इन्वेंट्री के स्तर में गिरावट आई है।


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