भारत ने सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड को एफपीआई नियमों में कुछ छूट देने पर सहमति दे दी है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस कदम के जरिए भारत सरकार सऊदी सॉवरेन वेल्थ फंड के लिए भारत में इंवेस्टमेंट को आसान बनाना चाहती है। इन नियमों के चलते पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड (पीआईएफ) की विभिन्न सहायक कंपनियां भारत में अधिक निवेश करने बाधा आ रही थी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये नियम विभिन्न सॉवरेन संस्थाओं के माध्यम से निवेश को एक साथ जोड़ते हैं और किसी एक कंपनी में 10 परसेंट की सीमा तय करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अप्रैल के सऊदी अरब के दौरे के दौरान दोनों देशों ने एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर और फार्मा सैक्टर में इंवेस्टमेंट को बढ़ावा देने पर सहमति जताई थी। भारत सऊदी अरब के साथ एक बाइलेटरल इंवेस्टमेंट ट्रीटी (बीआईटी) पर भी बातचीत कर रहा है। विभिन्न सॉवरेन संस्थाओं के निवेश को एक साथ जोडऩे की शर्त के चलते सऊदी फंड और उसकी सहायक कंपनियों की स्वतंत्र रूप से निवेश करने की लिमिट घट रही थी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि फंड को दी गई छूट के तहत इसकी विभिन्न शाखाओं को अलग-अलग निवेश करने की अनुमति मिलेगी, जिससे भारतीय इक्विटी बाजारों में रेगुलेटरी लिमिट्स का उल्लंघन किए बिना इंवेस्टमेंट करने की सहूलियत बढ़ेगी। पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड्स में से एक है, जो लगभग 925 बिलियन डॉलर की संपत्ति का प्रबंधन करता है। भारत में इसकी वर्तमान हिस्सेदारी जियो प्लेटफॉम्र्स में 1.5 बिलियन डॉलर और रिलायंस रिटेल में 1.3 बिलियन डॉलर तक सीमित है। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, खाड़ी देशों से लॉन्ग टर्म कैपिटल आकर्षित करना चाहता है। जबकि सऊदी अरब अपनी विजन 2030 रणनीति के तहत एमर्जिंग इकोनॉमी वाले देशों में निवेश बढ़ाना चाहता है। सऊदी अरब भारत में 100 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट करने की घोषणा पहले की कर चुका है और इसे फास्ट्रेक करने के लिए 2024 में दोनों देशों ने एक हाई लेवल टास्क फोर्स भी बना दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी सैक्टर के लिए पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड को टेक्स ब्रेक देने पर भी विचार कर रही है।