TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

04-06-2025

इंडिया का रूस से क्रूड ऑयल का इंपोर्ट मई में 10 महीने के उच्चस्तर पर

  •  भारत का रूस से कच्चे तेल का इंपोर्ट मई में बढक़र 10 महीने के उच्चस्तर 19.6 लाख बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है। वैश्विक बेंचमार्क कीमतों की तुलना में रूसी तेल पर लगातार मिलने वाली महत्वपूर्ण छूट इसकी मुख्य वजह रही। केप्लर के पोत परिवहन गतिविधियों से जुड़े आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल इंपोर्टक और उपभोक्ता है। यह विदेशों से करीब 51 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है जिससे रिफाइनरियों में पेट्रोल एवं डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है। भारत का तेल आपूर्तिकर्ताओं में रूस की सबसे बड़ी 38 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। वहीं इराक से भारत को प्रतिदिन 12 लाख बैरल कच्चा तेल मिलता है। इराक देश के लिए दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। सऊदी अरब ने 6,15,000 बैरल प्रति दिन का एक्सपोर्ट किया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 4,90,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। अमेरिका ने 2,80,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। केप्लर में रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, ‘‘ कुल मिलाकर, मई 2025 के लिए भारत का कच्चा तेल इंपोर्ट खाका इसकी मूल्य-संवेदनशील, विविध ‘सोर्सिंग’ रणनीति को उजागर करता है। बाहरी दबाव के बावजूद रूसी तेल की मात्रा उच्च बनी हुई है जो भारत की ऊर्जा नीति में आर्थिक व्यावहारिकता की के दृष्टिकोण को मजबूत करता है।’’ भारत परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया से अपना तेल प्राप्त करता रहा है। हालांकि, इसने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के तुरंत बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल इंपोर्ट करना शुरू कर दिया था। इसका मुख्य कारण यह है कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर उपलब्ध था। इसके परिणामस्वरूप भारत के रूसी तेल इंपोर्ट में काफी वृद्धि देखी गई। भारत के कच्चे तेल इंपोर्ट में रूस की हिस्सेदारी अल्पावधि में एक प्रतिशत से बढक़र अल्पावधि में 40-44 प्रतिशत तक पहुंच गई। रितोलिया ने बताया कि ब्रेंट एवं दुबई जैसे बेंचमार्क या लागत के आधार पर पश्चिम एशिया ‘ग्रेड’ की तुलना में रूस से उल्लेखनीय छूट पर कच्चे तेल की पेशकश जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में रूसी बैरल का मजबूत प्रवाह आर्थिक, परिचालन और भू-राजनीतिक कारकों के संयोजन से प्रेरित है।’’ रूस से यूराल क्रूड की कीमत में एक प्रमुख लाभ निहित है, जो कि हमेशा बहुत अधिक छूट पर नहीं होता है लेकिन पश्चिमी अफ्रीकी और पश्चिम एशिया ‘ग्रेड’ की तुलना में काफी सस्ता रहता है।

Share
इंडिया का रूस से क्रूड ऑयल का इंपोर्ट मई में 10 महीने के उच्चस्तर पर

 भारत का रूस से कच्चे तेल का इंपोर्ट मई में बढक़र 10 महीने के उच्चस्तर 19.6 लाख बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है। वैश्विक बेंचमार्क कीमतों की तुलना में रूसी तेल पर लगातार मिलने वाली महत्वपूर्ण छूट इसकी मुख्य वजह रही। केप्लर के पोत परिवहन गतिविधियों से जुड़े आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल इंपोर्टक और उपभोक्ता है। यह विदेशों से करीब 51 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है जिससे रिफाइनरियों में पेट्रोल एवं डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है। भारत का तेल आपूर्तिकर्ताओं में रूस की सबसे बड़ी 38 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। वहीं इराक से भारत को प्रतिदिन 12 लाख बैरल कच्चा तेल मिलता है। इराक देश के लिए दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। सऊदी अरब ने 6,15,000 बैरल प्रति दिन का एक्सपोर्ट किया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 4,90,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। अमेरिका ने 2,80,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। केप्लर में रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, ‘‘ कुल मिलाकर, मई 2025 के लिए भारत का कच्चा तेल इंपोर्ट खाका इसकी मूल्य-संवेदनशील, विविध ‘सोर्सिंग’ रणनीति को उजागर करता है। बाहरी दबाव के बावजूद रूसी तेल की मात्रा उच्च बनी हुई है जो भारत की ऊर्जा नीति में आर्थिक व्यावहारिकता की के दृष्टिकोण को मजबूत करता है।’’ भारत परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया से अपना तेल प्राप्त करता रहा है। हालांकि, इसने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के तुरंत बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल इंपोर्ट करना शुरू कर दिया था। इसका मुख्य कारण यह है कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर उपलब्ध था। इसके परिणामस्वरूप भारत के रूसी तेल इंपोर्ट में काफी वृद्धि देखी गई। भारत के कच्चे तेल इंपोर्ट में रूस की हिस्सेदारी अल्पावधि में एक प्रतिशत से बढक़र अल्पावधि में 40-44 प्रतिशत तक पहुंच गई। रितोलिया ने बताया कि ब्रेंट एवं दुबई जैसे बेंचमार्क या लागत के आधार पर पश्चिम एशिया ‘ग्रेड’ की तुलना में रूस से उल्लेखनीय छूट पर कच्चे तेल की पेशकश जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में रूसी बैरल का मजबूत प्रवाह आर्थिक, परिचालन और भू-राजनीतिक कारकों के संयोजन से प्रेरित है।’’ रूस से यूराल क्रूड की कीमत में एक प्रमुख लाभ निहित है, जो कि हमेशा बहुत अधिक छूट पर नहीं होता है लेकिन पश्चिमी अफ्रीकी और पश्चिम एशिया ‘ग्रेड’ की तुलना में काफी सस्ता रहता है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news