दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस वादी पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसने अपने घर से 10 किलोमीटर दूर अवैध निर्माण गतिविधि का आरोप लगाते हुए कार्रवाई का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा कि याचिकाकर्ता के कानूनी या मौलिक अधिकार उसके निवास से 10 किलोमीटर दूर होने वाली ‘‘किसी गतिविधि से स्पष्ट रूप से प्रभावित नहीं होते।’’ अदालत ने पाया कि याचिका ‘‘गलत मंशा’’ से दायर की गई थी और इस पर विचार नहीं किया जा सकता। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर दिल्ली उच्च न्यायालय अधिवक्ता कल्याण ट्रस्ट में राशि जमा करने का आदेश दिया गया। अदालत ने 29 मई के आदेश में कहा, ‘‘वर्तमान याचिका दायर करने का एकमात्र आधार यह है कि याचिकाकर्ता कार्यालय आने-जाने के लिए उसी सडक़ का उपयोग करता है। वर्तमान मामला स्पष्ट रूप से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता का कोई भी कानूनी या मौलिक अधिकार किसी भी तरह से उस संपत्ति में हो रही किसी भी निर्माण गतिविधि से प्रभावित नहीं होता है, जो याचिकाकर्ता के निवास से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है।’’ वसंत विहार में रहने वाले इस याचिकाकर्ता ने कहा कि वह जब काम पर जाता है और वापस आता है तो उसने पाया कि महरौली में गैरकानूनी निर्माण गतिविधि चल रही हैं।