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02-07-2025

सीनियर सीटिजंस के लिए सौगात है ‘कुर्सी योग’

  •  बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक गतिशीलता और संतुलन में कमी आना स्वाभाविक है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि योग से दूरी बनानी पड़े। ऐसे में बुजुर्गों के लिए सरल तरीके से किया जाने वाला कुर्सी योग एक सौगात से कम नहीं है। कुर्सी योग बुजुर्गों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है। आसन, सांस लेने की तकनीक (प्राणायाम) और ध्यान का अभ्यास कुर्सी पर बैठकर या उसका सहारा लेकर किया जाता है। यह उन लोगों के लिए आदर्श है, जो फर्श पर उठने-बैठने में असमर्थ हैं, संतुलन बनाए रखने में कठिनाई महसूस करते हैं या जो जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों की कमजोरी से जूझ रहे हैं। इस योग को घर के साथ ही पार्क या अन्य जगहों पर भी आसानी से किया जा सकता है, जिसके लिए किसी विशेष चीज की आवश्यकता नहीं होती, सिवाय एक स्थिर कुर्सी के। इसके नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कई लाभ देखे गए हैं। यह जोड़ों की जकडऩ को कम करता है, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और लचीलापन बढ़ाता है। सांस लेने की तकनीकों के जरिए यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। हृदय संबंधी समस्याओं को दूर कर उसे स्वस्थ बनाने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी कुर्सी योग प्रभावी है। बुजुर्ग बिना किसी जोखिम के सहज तरीके से व्यायाम कर सकते हैं। आयुष मंत्रालय के अनुसार, कुर्सी योग की शुरुआत सरल आसनों जैसे कंधे और गर्दन की स्ट्रेचिंग, कुर्सी पर बैठकर पैरों की गति या सहारे के साथ खड़े होकर किए जाने वाले आसनों से की जा सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार, प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में इसे शुरू करना बेहतर होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सप्ताह में 2-3 बार 20-30 मिनट का अभ्यास भी पर्याप्त लाभ दे सकता है। बैठकर किए जाने वाला योग न केवल बुजुर्गों, बल्कि उन सभी के लिए एक सुरक्षित विकल्प है जो योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहते हैं। यह स्वास्थ्य और खुशहाली की दिशा में एक सरल, सुलभ और प्रभावी कदम है। कुर्सी योग अभ्यास से पहले कुछ सामान्य बातों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसके लिए बिना पहियों वाली मजबूत कुर्सी का चुनाव करें। इसके लिए एक मजबूत सीट वाली कुर्सी चुनें, जो ज्यादा गद्देदार न हो। कुर्सी की पीठ सीधी होनी चाहिए और उसकी ऊंचाई ऐसी होनी चाहिए कि पैर जमीन पर सपाट रख सकें।

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सीनियर सीटिजंस के लिए सौगात है ‘कुर्सी योग’

 बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक गतिशीलता और संतुलन में कमी आना स्वाभाविक है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि योग से दूरी बनानी पड़े। ऐसे में बुजुर्गों के लिए सरल तरीके से किया जाने वाला कुर्सी योग एक सौगात से कम नहीं है। कुर्सी योग बुजुर्गों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है। आसन, सांस लेने की तकनीक (प्राणायाम) और ध्यान का अभ्यास कुर्सी पर बैठकर या उसका सहारा लेकर किया जाता है। यह उन लोगों के लिए आदर्श है, जो फर्श पर उठने-बैठने में असमर्थ हैं, संतुलन बनाए रखने में कठिनाई महसूस करते हैं या जो जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों की कमजोरी से जूझ रहे हैं। इस योग को घर के साथ ही पार्क या अन्य जगहों पर भी आसानी से किया जा सकता है, जिसके लिए किसी विशेष चीज की आवश्यकता नहीं होती, सिवाय एक स्थिर कुर्सी के। इसके नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कई लाभ देखे गए हैं। यह जोड़ों की जकडऩ को कम करता है, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और लचीलापन बढ़ाता है। सांस लेने की तकनीकों के जरिए यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। हृदय संबंधी समस्याओं को दूर कर उसे स्वस्थ बनाने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी कुर्सी योग प्रभावी है। बुजुर्ग बिना किसी जोखिम के सहज तरीके से व्यायाम कर सकते हैं। आयुष मंत्रालय के अनुसार, कुर्सी योग की शुरुआत सरल आसनों जैसे कंधे और गर्दन की स्ट्रेचिंग, कुर्सी पर बैठकर पैरों की गति या सहारे के साथ खड़े होकर किए जाने वाले आसनों से की जा सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार, प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में इसे शुरू करना बेहतर होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सप्ताह में 2-3 बार 20-30 मिनट का अभ्यास भी पर्याप्त लाभ दे सकता है। बैठकर किए जाने वाला योग न केवल बुजुर्गों, बल्कि उन सभी के लिए एक सुरक्षित विकल्प है जो योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहते हैं। यह स्वास्थ्य और खुशहाली की दिशा में एक सरल, सुलभ और प्रभावी कदम है। कुर्सी योग अभ्यास से पहले कुछ सामान्य बातों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसके लिए बिना पहियों वाली मजबूत कुर्सी का चुनाव करें। इसके लिए एक मजबूत सीट वाली कुर्सी चुनें, जो ज्यादा गद्देदार न हो। कुर्सी की पीठ सीधी होनी चाहिए और उसकी ऊंचाई ऐसी होनी चाहिए कि पैर जमीन पर सपाट रख सकें।


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