प्रदेश में गिट्टी तैयार करने वाले क्रेशर मालिकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण अब भवन निर्माण कार्य प्रभावित होने लगा है तथा पत्थरों की खदानों में खान मालिकों द्वारा काम-काज बंद कर देने से खान श्रमिकों एवं दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष मजदूरी का संकट खड़ा होने लगा है। इससे सीमेन्ट की डिमांड घट गई है तथा कई कम्पनियों के गोदामों में सीमेन्ट का भारी स्टॉक जमा हो गया है। हड़ताल को लेकर भवन निर्माण के कार्य में लगे ठेकेदार सबसे अधिक चिन्तित है। रक्षाबंधन का त्योहार निकट है। भवन निर्माण के लिए कच्चा माल उपलब्ध नहीं होने से मजबूरन निर्माण कार्य बंद करना पड़ा है। बिल्डिंग निर्माण के कार्य में लगें ठेकेदारों का कहना है कि हड़ताल नहीं टूटने पर हजारों श्रमिक त्योहार पर अपने घरों को लौटना शुरू कर देंगे। इस बीच अगर हड़ताल समाप्त भी हुई तो निर्माण कार्य 15 अगस्त के बाद ही शुरू होंगे। क्योंकि त्योहार पर गए हुए श्रमिक हफ्ता-दस दिन घर पर रहने के बाद ही लौटते हैं। गिट्टी उत्पादन करने वाले कुछ क्रेशर मालिकों द्वारा हड़ताल के बाद भी चोरी-छिपे गिट्टी की सप्लाई करने की जानकारी सामने आई है। इसे रोकने के लिए संगठन के स्तर पर प्रयास किये जा रहे है। जिले के समोड़ी बनेड़ा तथा मांडल क्षेत्र में चुनाई पत्थर की सैंकड़ों खदानें हैं। जिले के बिजौलियां में सबसे अधिक सैंण्ड स्टोन की खदानें हैं। बिजौलिया में वर्षा के दिनों में खानों में पानी भर जाने के कारण पत्थर निकालने का कार्य दीपावली तक बंद रहता है, लिहाजा इन खदानों में माइनिंग पहले से ही बंद है। हडताल का सबसे बड़ा असर एक्सपोर्ट पर दिखाई दे रहा है। बिजौलियां से बड़ी तादाद में सैंण्ड स्टोन के कबल्स तथा सैंण्ड गिट्टी उत्पादन करने वाले क्रेशर मालिक हैं। सैंड स्टोन टॉइल्स का निर्यात यूरोपीय देशों में होता है, लेकिन निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के लदान पर रोक होने से करोड़ों रुपयों के निर्यात का नुकसान हो रहा है। निर्यातक इस बात से चिन्तित है कि समय पर माल का बंदरगाह पर लदान नहीं होने पर आर्डर के कैंसिल होने का खतरा रहता है।