राजस्थान स्टोन क्रेशर एवं पत्थर खनन एसोसिएशन के आव्हान पर जिले की करीब डेढ़ सौ से अधिक क्रेशर इकाइयों में हड़ताल के चलते पत्थर की गिट्टी का तैयार करने का कार्य रूक गया है। हड़ताल का सबसे अधिक प्रभाव जिले के बिजोलियां, बदनोर एवं समोड़ी की खदानों में देखने को मिला है। राज्य सरकार की खनन नीतियों में व्यापक विसंगतियां तथा आए दिन नियमों में परिवर्तन करने एवं पर्यावरण को लेकर खान मालिकों को परेशान किया जाता है। इसके विरोध में प्रदेश स्तर पर विभिन्न संगठनों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। राजस्थान स्टोन क्रेशर एवं पत्थर खनन एसोसिएशन ने सरकार को अनेक बार ज्ञापन दिये जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने पर शनिवार से खदानों में काम-काज बंद कर दिश है। प्रदेश सरकार मांग पत्र को लेकर गम्भीर नहीं होने के विरोध में प्रदेश स्तर पर गिट्टी बनाने वाले क्रेशर इकाइयों में गिट्टी का उत्पादन कार्य बंद कर दिया है। इस हड़ताल का व्यापक असर जिले के बिजोलियां क्षेत्र में दिखाई दिया है। जिले की समोड़ी, कारोई, चमनपुरा, मांड़ल तथा बनेड़ा क्षेत्र में 40 से अधिक क्रेशर प्लानट लगें हुए है। जिले का अधिकांश चुनाई का पत्थर इन क्षेत्रों से ही आता है। क्रेशर इकाइयों में हड़ताल होने से करोड़ों रुपयों का राजस्व नुकसान होने के साथ ही हड़ताल के लम्बा चलने पर शहर का भवन निर्माण कार्य प्रभावित हो सकता है। भीलवाड़ा जिले में कपड़ा उद्योग के बाद पत्थर एवं खनन का सबसे बड़ा उद्योग है जहां श्रमिकों की सबसे बड़ी भागीदारी है।
इनका कहना है : राजस्थान स्टोन क्रेशर एवं पत्थर खनन एसोसिएशन के आव्हान पर हड़ताल के चलते बिजोलियां क्षेत्र में सैंण्ड स्टोन का लदान नहीं हुआ है। सैंण्ड स्टोन की खदानों में इन दिनों वर्षा का पानी भरा होने से काम-काज पहले से बंद पड़ा है। हड़ताल के कारण सैंण्ड स्टोन का निर्यात प्रभावित होगा।
- एस.एन.जोशी, उद्यमी, बिजौलियां लाडपुरा
क्रेशर उद्यमियों के सामने कई परेशानियां है। इन मांगों को लेकर सरकार के पास कई बार मांग पत्र भेजने के बाद भी छोटे उद्यमियों की सुनवाई नहीं हो रही है।
- सत्यनारायण विश्नोई, निदेशक, भारतीय क्रेशर