यहां के कई प्रोसेस हाउसों द्वारा बरसात के मौसम की आड़ में फैक्ट्री का प्रदूषित पानी एक बरसाती नाले में बहाया जा रहा था। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के स्थानीय कार्यालय को इस कृत्य की जानकारी मिलने पर मंडल की एक टीम ने रात के अंधेरे में इसकी जांच करके इस गड़बड़ी का खुलासा किया तथा चार प्रोसेस हाउसों पर 36 लाख रुपये से अधिक की पेनल्टी लगाई है। उल्लेखनीय है कि गुवारडी नामक नाले में यह प्रदूषित पानी बहाया गया। इस नाले का पानी आगे जाकर बनास नदी में मिल जाता है तथा बनास का पानी बीसलपुर डैम पहुुंचता है, जहां से राजधानी जयपुर को सप्लाई किया जाता है। वर्षा शुरू होने के साथ ही चितौडग़ढ़ मार्ग पर एवं बनास नदी के किनारे पर बसे अनेक गंावों के लोगों ने प्रोसेस हाउसों से निकलने वाले केमिकल युक्त जहरीले पानी को लेकर प्रदूषण नियंत्रण मंडल के भीलवाड़ा कार्यालय में शिकायतें की। शुरू में इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया, जबकि प्रोसेस हाउसों के मालिक ने ट्रीटमेन्ट प्लान्टों पर आने वाले खर्च से बचने के लिए इस तरह की गड़बड़ी कर रहे थे। ये लोग टेन्करों में भर कर रात के अन्धेरे में बरसाती नाले और नदी के बहते हुए जल में दूषित जल बहा देते थे। जिससें प्रोसेस हाउसों की चोरी पकड़ मेंं नहीं आ रही थी। बाद में लोगों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को शिकायतें भिजवाई तो प्रदूषण नियंत्रण मंडल हरकत में आया तथा क्षेत्रीय अधिकारी दीपक घनेटवाल ने शिकायतों के तह में जाने के लिए विभाग के सभी अधिकारियों की रात में एक बैठक बुलाकर पानी की जांच करने के संसाधनों के साथ सबसे पहले गुवारड़ी नाले पर पहुंचे के बहते हुए पानी की जांच की गई यहां सेम्पल लिये गये पानी में जहरीले काले पानी के संकेत दिखाई दिये बाद में टीम ने स्वरूपगंज तथा आस-पास में गुवारड़ी नाले के जांच करने तथा वहां किसी अज्ञात ट्रेक्टर के टेन्कर से पानी छोडऩे के संकेत मिले। इसके बाद क्षेत्रीय अधिकारी घनेटवाल के साथ मंडल की टीम ने चित्तौडग़ढ़ के मार्ग पर स्थित सभी 16 प्रोसेस हाउसों की जांच की। जांच टीम ने चार प्रोसेस हाउसों से प्रदूषित पानी जीरो डिस्चार्ज नीति की पालना नहीं किये जाने के कारण उन पर करीब 36 लाख रुपयों से अधिक की पेनल्टी लगाई गई है। जांच टीम को छह प्रोसेस हाउसों में प्रदूषण को लेकर अनियमितता सामने आई है। विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को कारवाई के लिए भेजी गई है।