पश्चिमी राजस्थान में खजूर की खेती किसानों के लिए कमाई का मजबूत जरिया बनती जा रही है। इस सीजन में बीकानेर में लगभग 300 हैक्टेयर में खजूर बगीचे हैं, जहां प्रति पौधा 80-100 किलो उत्पादन और 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक का बाजार भाव मिलने से किसानों की आमदनी में अच्छा इजाफा हुआ है। दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में मांग बढऩे से खजूर की खेती निवेश के लिहाज से भी लाभदायक साबित हो रही है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पश्चिमी राजस्थान में खजूर पौधारोपण क्षेत्रफल विस्तार के लिए बीकानेर को 65.52 लाख का लक्ष्य मिला है। उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश गहलोत के अनुसार किसान इस योजना के तहत बगीचा लगाकर 75 पर्सेंट तक अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।
व्यापारिक संभावनाएं : खजूर का बाजार मूल्य लगातार स्थिर और लाभकारी रहा है। एक हैक्टेयर बगीचा औसतन 12-15 लाख रुपए सालाना का सकल राजस्व दे सकता है, जबकि दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब जैसे प्रीमियम बाजारों में पैकिंग और ब्रांडिंग के साथ यह रिटर्न और बढ़ सकता है।
निवेश मॉडल : कितनी लागत, कितना लाभ -पौधों की संख्या (प्रति हैक्टेयर): 148 मादा + 8 नर कुल 156 पौधे
किस्में : बरही, खुनैजी, मेडजूल, खलास, खद्रावी, सगई, जामली, अजवा, नाबुत सुल्तान, हलावी (नर किस्में: अल-इन-सिटी, घनामी)
पौधरोपण तकनीक : टिश्यूकल्चर पौधे:प्रति पौधा 3000 रुपये तक की लागत पर 75 पर्सेंट अनुदान
ऑफशूट पौधे : जड़ विकसित से
पहले: 1000 रुपये प्रति पौधा लागत पर 75 पर्सेंट अनुदान
जड़ विकसित उपरांत : 1500 रुपये प्रति पौधा लागत पर 75 पर्सेंट अनुदान
न्यूनतम : 0.5 हैक्टेयर तथा अधिकतम: 4 हैक्टेयर में खजूर के पौधे लगाये जा सकते हैं। इस योजना के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति अनिवार्य है। योजना का लाभ उठाने के लिए खेत की जमाबंदी (6 माह से अधिक पुरानी नहीं), नक्शा ट्रेस, सिंचाई स्रोत का प्रमाण, ड्रिप आवेदन का प्रमाण, मिट्टी-पानी जांच रिपोर्ट, बैंक विवरण, आधार/जन आधार कार्ड आदि दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।