भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम)ने कर प्रणाली से लेकर ई-कॉमर्स रेगुलेशन, एफएसएसएआई द्वारा लिए जाने वाले सैंपल परीक्षण तक कई बड़े बदलावों की मांग की। बीयूवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ‘सरकार ईज ऑफ डूंईंग बिजनेस को बढ़ावा दे रही है। परंतु जीएसटी की अनेक टैक्स दरें एमएसएमई और व्यापारियों के लिए बड़ी चुनौती हैं। हमने सरकार को सुझाव दिया है कि जीएसटी दरों को केवल तीन स्लैब में रखा जाए - 0, 5 और 18'। यदि इसे लागू किया गया, तो यह जीडीपी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। गुप्ता ने सुझाव दिया कि सभी खाद्य उत्पादों पर 0' टैक्स होना चाहिए। खाद्यान्न, दालें, तिलहन के लिए क्लीनिंग, ग्रेडिंग और सॉर्टिंग मशीनें, एलईडी लैंप, सबमर्सिबल पंप, हार्डवेयर, स्टेनलेस स्टील, 1000 रुपये तक के खिलौने, खाद्य तेल, बेकरी उत्पाद, सौर वाटर हीटर, घी, अचार, हस्तशिल्प और 1000 रुपये प्रतिदिन तक के होटल रूम को 5' स्लैब में रखा जाना चाहिए। शेष सभी उत्पाद 18' स्लैब में आने चाहिए। राष्ट्रीय वरिष्ठ महासचिव मुकुंद मिश्रा ने कहा कि सभी राज्यों में कृषि मंडी सेस को 100 रुपये पर 50 पैसे किया जाए। इससे सभी किसानों और व्यापारियों को बराबरी का अवसर मिलेगा और ‘वन नेशन, वन मार्केट’ की दिशा में सार्थक कदम होगा। साथ ही, यह राज्य सरकारों की आय को भी बढ़ाएगा। प्रेम अरोड़ा, अध्यक्ष, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, दिल्ली ने कहा कि वर्तमान में एफएसएसएआई नियमों के तहत हर 6 महीने में खाद्य सैंपल टेस्टिंग जरूरी है। यह छोटे व्यवसायों के लिए भारी वित्तीय बोझ बन गया है। हम मांग करते हैं कि यह प्रक्रिया केवल वर्ष में एक बार होनी चाहिए।