मगज तरबूज का पिछले दो महीने में बाहरी व्यापारियों का स्टॉक के माल औने-पौने भाव में कट चुके हैं तथा सूडान से भी आयात प्रतिबंध अभी एक्सटेंड रहने की चर्चा से बिकवाल पीछे हट गए हैं, इस वजह से बाजार 20/25 रुपए बढ़ गया है तथा आगे इसमें 100 रुपए और बढ़ जाने के आसार बन गए हैं। मगज तरबूज अब छोटे व्यापारियों के हाथ से निकल चुका है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाल ही में यहां की अपेक्षा ऊंचे भाव चल रहे हैं। बाजार में चर्चा है कि सूडान से आयात पर जो प्रतिबंध लगा है, उसे आगे तक एक्सटेंड कर दिया गया है यानी अभी तक आयात खोलने संबंधित नोटिफिकेशन नहीं आया है। इस वजह से देसी विदेशी स्टॉक के पड़े मालों की लिवाली बढ़ गई है। उधर राजस्थान की मंडियों में भी और घटाकर बिकवाल नहीं हैं। व्यापारियों का कहना है कि जो सौदे बिके थे, उसकी डिलीवरी सट्टे में भी हो चुकी है तथा ज्यादा माल डिलीवरी के लिए बाजारों में नहीं है तथा फुल अप्रैल-मई के भी स्टोरिये वर्तमान भाव में लिवाल आने लगे हैं। गौरतलब है कि मगज तरबूज पर सटोरियों का कब्जा हो चुका है तथा बाजार सट्टे के आधार पर चल रहा है, इन सब के बावजूद भी अप्रैल के बिके हुए मालों की डिलीवरी हेतु माल मंदे भाव में नहीं मिलने से सटोरियों द्वारा हाजिर बाजार से आज काफी सौदे खरीद किए गए हैं। दूसरी ओर आयात खुलने की भी अभी कोई ऑथेंटिक खबर नहीं मिल रही है। मगज तरबूज कल 440 रुपए प्रति किलो बिका था लेकिन उसके बाद 465 रुपए हाजिर में हो चुका है। नीमच लाइन के पड़ते नहीं हैं, क्योंकि वहीं पर बिहार बंगाल एवं साउथ की मांग निकलने लगी है, काजू के भाव ऊंचे होने से मगज तरबूज में हलवाइयों की भी मांग अच्छी है, इन परिस्थितियों को देखते हुए मगज तरबूज, जो 465 रुपए प्रति किलो हाजिर में बिक रहा है, इसके भाव 550 रूपए अगले महीने के अंत तक बन सकते हैं।यही कारण है कि 40/45 रुपए बढक़र इसके भाव 10 दिन में बढक़र 480/490 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। इस बार बाजार काफी नीचे आ चुके हैं तथा निकट में कोई और माल बंदरगाहों पर लगने वाला नहीं है। तरबूज का बीज जो आयातकों ने मंगाया था, वह लगभग सारा प्रोसैस्ड हो चुका है। अत: इन भावों में मगज तरबूज का व्यापार आगे चलकर भरपूर लाभदायक लग रहा है। घरेलू फसल निकट में कोई आने वाली नहीं है, दूसरी ओर सूडान के माल काफी कट चुके हैं।