उत्पादक व वितरक मंडियों में स्टाक न होने के बावजूद मार्च क्लोजिंग के चलते बाजार टूट गया है। आज की तारीख में चेन्नई से माल मंगाने पर पड़ता ऊंचा लग रहा है, केवल वायदा में भाव कम चल रहे हैं, इसे देखते हुए आज के भाव में उड़द 3/4 रुपए प्रति किलो लाभ मिल सकता है। उड़द में दाल मिलों की मांग पूरी तरह ठंडी पड़ जाने तथा फुल अप्रैल के सौदे वर्तमान भाव के लगभग बराबर ही चेन्नई से मिल रहे हैं, जिस कारण दाल मिल वाले पहले अपने माल को बेच रहे हैं। दाल छिलका व धोया की बिक्री नहीं है, जिस कारण एक पखवाड़े में 2/3 रुपए टूट कर एसक्यू 82 रुपए एवं एफ ए क्यू 76 रुपए प्रति किलो रह गए हैं। देसी विदेशी माल का स्टॉक मंडियों में समाप्त हो चुका है तथा निकट में देशी कोई उड़द आने वाली नहीं है। उधर बर्मा से हाजिर शिपमेंट के भाव पड़ते में काफी ऊंचे बोल रहे हैं, इन परिस्थितियों में शाम को दिल्ली चेन्नई से मिलर्स माल खरीदने लगे हैं। यही कारण है कि बाजार सुधरने के मूड में दिखाई देने लगा है। मुख्य फसल सितंबर माह में मध्य प्रदेश महाराष्ट्र यूपी आंध्र प्रदेश कर्नाटक में आएगी। तुवर का देसी विदेशी पुराना माल निपट चुका है। दूसरी ओर म्यांमार का पुराना माल भी बिक गया है, नये माल एफ ए क्यू के भाव 780 डॉलर एवं एसक्यू के 860 डॉलर प्रति टन बोल रहे हैं। कारोबारी हैंड टू माउथ चल रहे हैं तथा दाल मिलों के पास भी मीलिंग के लिए ज्यादा माल नहीं है। इसे देखते हुए इस महीने के बाद यहां से बाजार 3-4 रुपए प्रति किलो बढ़ सकता है। गौरतलब है कि म्यांमार में उड़द की लोडिंग होने लगी है। हालांकि सट्टा बाजार के अंतर्गत तेजी मंदी का आंकलन करना बहुत मुश्किल हो गया है, क्योंकि सटोरिये स्टॉक कम होने पर भी एडवांस में मंदा कर, व्यापारी वर्ग के मनोबल को तोड़ दिए हैं। मुख्य देसी उड़द 6 महीने से पहले कोई आने वाली नहीं है। उड़द की रंगूनी फसल आ गई है। हरे रंग की उड़द मई में आती है तथा इधर पाइप लाइन में माल ज्यादा नहीं है, इस वजह से सटोरिए थोड़ा माल मंदे भाव में बेचकर बाजार तोडक़र पीछे से माल पकडऩे की फिराक में हैं, लेकिन हाजिर माल की कमी को देखते हुए जो उड़द एसक्यू 82 रुपए प्रति किलो थोक में यहां बिक रही है, इसमें कोई रिस्क नहीं है। तथा 3/4 रुपए का लाभ जल्दी मिल जाएगा, लेकिन लंबी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए।