मसूर का बिजाई क्षेत्र इस बार सभी उत्पादक राज्यों में बढ़ा है, लेकिन मौसम प्रतिकूल होने एवं विदेशों में ऊंचे भाव होने से देसी मसूर का व्यापार 50/100 और घटने के बाद भरपूर लाभदायक रहेगा। वर्तमान में मसूर की फसल मध्य प्रदेश के मुंगावली गंज बासौदा सागर भोपाल एवं बीनागंज लाइन में आ रही है। यूपी में 15 दिन बाद फसल आएगी, राजस्थान में भी फसल तैयार हो गई है। मध्य प्रदेश की मंडियों में मसूर का दबाव बनने से वहां नमी व दागी के हिसाब से मोटी मसूर 5600/5900 रुपए प्रति क्विंटल के बीच लूज में बिक रही है। दिल्ली में इसके भाव 6325/6350 रुपए प्रति क्विंटल बिल्टी में चल रहे हैं। यह पिछले सप्ताह 6600 रुपए तक बिका था, जबकि कनाडा की मसूर के भाव 6540/6550 रुपए प्रति कुंतल यहां चल रहे हैं। इसमें मंदा नहीं आ रहा है, क्योंकि कनाडा में हाल ही में 25-30 डॉलर प्रति टन भाव बढ़ गए थे, जिससे वह माल मुंदड़ा पोर्ट पर 6000 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे का पड़ता नहीं लग रहा है। इस वजह से विदेशी माल में कोई मंदे की धारणा नहीं है। इस बार मसूर की बोई हुई फसल को देखते हुए घरेलू उत्पादन 16.50 लाख मीट्रिक टन आने का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन हमारी घरेलू खपत 28 लाख मीट्रिक टन की है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर ही आगे की तेजी मंदी निर्भर करेगी। वर्तमान के परिदृश्य में मसूर की वास्तविक तेजी मंदी अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर निर्भर करेगी तथा सरकार के आयात निर्यात नीति पर चलेगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से विदेशी माल में मंदे की गुंजाइश नहीं है तथा देसी विदेशी माल में जो अंतर 500 रुपए प्रति क्विंटल का हो गया था, वह डेढ़ सौ रुपए रह गया है। इस वजह से देसी माल में भी 50 रुपए प्रति क्विंटल से और घटने की गुंजाइश नहीं लग रही है। गत वर्ष की तरह इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मसूर के भाव नीचे नहीं है तथा मुंदड़ा सहित अन्य बंदरगाहों पर उतरे हुए माल भी काफी निकल चुके निपट चुके हैं। अत: मसूर इस बार ज्यादा मंदी नहीं होगी, बल्कि आगे चलकर भविष्य में 7000 रुपए प्रति क्विंटल बिल्टी में देसी मसूर बिक सकती है।