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22-04-2025

मंडियों में आवक का प्रेशर नहीं बनने से देशी चना धीरे-धीरे तेज ही रहेगा

  •  सभी उत्पादक क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम से देसी चने में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता इस बार काम आई है, जिस कारण किसी भी मंडी में आवक का प्रेशर नहीं है, जिस कारण नीचे के भाव से धीरे-धीरे 500 रुपए की बढ़त बन चुकी है तथा आगे अभी इसी महीने 400 रुपए की और तेजी लग रही है। अत: वर्तमान भाव में खरीद करते रहना चाहिए तथा करेक्शन आने पर घबराने की जरूरत नहीं है। देसी चने की बिजाई इस बार राजस्थान मध्य प्रदेश महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक आदि सभी राज्यों में किसानों ने कम किया था। कर्नाटक राजस्थान महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों में फसल आ चुकी हैं, उक्त सभी राज्यों में मौसम समय से पहले गर्म हो गया था, जिससे वहां देसी चने में यील्ड कम बैठा है। राजस्थान के उत्पादक क्षेत्रों में भी इस मौसम से देसी चने में दाने छोटे एवं कम बैठ रहे हैं।  विशेषज्ञों के अनुसार इसका उत्पादन  80-82 लाख मीट्रिक टन अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि इस बार किसान का 75-76 लाख मीट्रिक टन सर्वे टीम अनुमान लगा रही है। यही कारण है कि चालू सीजन 5400 रुपए राजस्थानी चना लॉरेंस रोड पर नीचे में बिकने के बाद ऊपर में 5900 रुपए प्रति कुंतल खड़ी मोटर में लिवाल आने लगे हैं। उधर ऑस्ट्रेलिया का चना नवंबर माह से ही सौदा होने से ऊंचे में 7600 रुपए प्रति क्विंटल बिकने के बाद 5400 रुपए नीचे में पिछले माह जाने के बाद वर्तमान में 6050 रुपए हो गया है। मुंदड़ा पोर्ट से ऑस्ट्रेलिया का चना 5800 रुपए  बोल रहे हैं। फिलहाल वर्तमान भाव पर बाजारों में केवल दहशत बना हुआ है। इधर दाल एवं बेसन की बिक्री सुधरने लगी है, जिससे आगे बाजार तेज दिखाई देने लगा है। गौरतलब है कि जो मध्य प्रदेश का देसी चना फरवरी के प्रथम सप्ताह में आना था, इस बार मार्च में आया है तथा अब तक माल का प्रेशर नहीं बन पाया है। राजस्थान के माल छोटे दाने के आ रहे हैं, महाराष्ट्र कर्नाटक के पड़ते ऊंचे हैं, वहीं पर महंगे हो गए हैं। केवल ऑस्ट्रेलिया का चना  प्रोसेसिंग यूनिटों में पूर्ति कर रहा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए भविष्य में देसी चने में भरपूर लाभ मिलने की संभावना है, लेकिन धैर्य रखना पड़ेगा।

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मंडियों में आवक का प्रेशर नहीं बनने से देशी चना धीरे-धीरे तेज ही रहेगा

 सभी उत्पादक क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम से देसी चने में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता इस बार काम आई है, जिस कारण किसी भी मंडी में आवक का प्रेशर नहीं है, जिस कारण नीचे के भाव से धीरे-धीरे 500 रुपए की बढ़त बन चुकी है तथा आगे अभी इसी महीने 400 रुपए की और तेजी लग रही है। अत: वर्तमान भाव में खरीद करते रहना चाहिए तथा करेक्शन आने पर घबराने की जरूरत नहीं है। देसी चने की बिजाई इस बार राजस्थान मध्य प्रदेश महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक आदि सभी राज्यों में किसानों ने कम किया था। कर्नाटक राजस्थान महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों में फसल आ चुकी हैं, उक्त सभी राज्यों में मौसम समय से पहले गर्म हो गया था, जिससे वहां देसी चने में यील्ड कम बैठा है। राजस्थान के उत्पादक क्षेत्रों में भी इस मौसम से देसी चने में दाने छोटे एवं कम बैठ रहे हैं।  विशेषज्ञों के अनुसार इसका उत्पादन  80-82 लाख मीट्रिक टन अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि इस बार किसान का 75-76 लाख मीट्रिक टन सर्वे टीम अनुमान लगा रही है। यही कारण है कि चालू सीजन 5400 रुपए राजस्थानी चना लॉरेंस रोड पर नीचे में बिकने के बाद ऊपर में 5900 रुपए प्रति कुंतल खड़ी मोटर में लिवाल आने लगे हैं। उधर ऑस्ट्रेलिया का चना नवंबर माह से ही सौदा होने से ऊंचे में 7600 रुपए प्रति क्विंटल बिकने के बाद 5400 रुपए नीचे में पिछले माह जाने के बाद वर्तमान में 6050 रुपए हो गया है। मुंदड़ा पोर्ट से ऑस्ट्रेलिया का चना 5800 रुपए  बोल रहे हैं। फिलहाल वर्तमान भाव पर बाजारों में केवल दहशत बना हुआ है। इधर दाल एवं बेसन की बिक्री सुधरने लगी है, जिससे आगे बाजार तेज दिखाई देने लगा है। गौरतलब है कि जो मध्य प्रदेश का देसी चना फरवरी के प्रथम सप्ताह में आना था, इस बार मार्च में आया है तथा अब तक माल का प्रेशर नहीं बन पाया है। राजस्थान के माल छोटे दाने के आ रहे हैं, महाराष्ट्र कर्नाटक के पड़ते ऊंचे हैं, वहीं पर महंगे हो गए हैं। केवल ऑस्ट्रेलिया का चना  प्रोसेसिंग यूनिटों में पूर्ति कर रहा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए भविष्य में देसी चने में भरपूर लाभ मिलने की संभावना है, लेकिन धैर्य रखना पड़ेगा।


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