पिछले सप्ताह म्यांमार में भूकंप से तुवर की लोडिंग प्रभावित हो गई है, जिससे यहां बाजार बढ़ गए हैं। उधर सरकार महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में खरीद रुक रुक कर कर रही है, जिस कारण वहां के किसान मंडियों में माल बेचने से पीछे हट गए हैं। यहां भी नीचे वाले भाव में दाल मिलों की लिवाली से बाजार चार-पांच दिनों में 200 रुपए बढ़ हैं तथा इसी लाइन पर थोड़ा ठहर कर 500 रुपए की और तेजी लग रही है। बर्मा में जो तुवर 790 डॉलर प्रति टन बिक रही थी, उसके भाव 820 डॉलर हो गए हैं। उधर अफ्रीकन देशों के तुवर की भी कोई विशेष उपलब्धि नहीं है, क्योंकि वहीं पर भाव ऊंचे खुले हैं। हम मानते हैं कि महाराष्ट्र कर्नाटक में तुवर की बिजाई अच्छी हुई थी, जिस कारण चौतरफा उत्पादन बढिय़ा हुआ है। उक्त राज्यों की उत्पादक मंडियों में 8700/8800 रुपए प्रति कुंतल भाव खुलकर इस समय 6500/6900 रुपए नीचे में बनने के बाद अब इसके भाव 6800/7200 रुपए हो गए हैं, जबकि तुवर का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा 550 रुपए बढ़ाकर 7550 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। अब न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में लगभग 500 रुपए भाव महाराष्ट्र कर्नाटक की मंडियों में नीचे आ गए हैं, जिससे किसानों की उपज की लागत निकालनी मुश्किल हो गई है, इसे देखते हुए सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हेतु कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में धर्म कांटे लगा दिए गए हैं। पिछले दिनों मंत्री जी ने प्रगतिमैदान में कहा था कि हम तुवर मसूर एवं उड़द की शत प्रतिशत खरीद करेंगे, इन कारणों से भी किसानों का मनोबल मजबूत हो गया है। दूसरी ओर वहां भी दाल मिलें मंदे भाव में माल पकडऩे लगी है, जलगांव की दाल मिलें लगातार अकोला लाइन से माल खरीद रही है। अब देखना यह है कि सरकार कितना तुवर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर रही है। दूसरी ओर यहां भी देशी तुवर के भाव नीचे में 7700/7900 रुपए प्रति कुंतल बनने के बाद महाराष्ट्र कर्नाटक की मंडियों में भी लूज भाव में 200 रुपए का इजाफा हो गया है। लेमन तुवर भी जो 7100 रुपए प्रति क्विंटल 10 दिन पहले बिक गई थी, उसके भाव आज 7500/7510 रुपए बोलने लगे हैं तथा चेन्नई में भी 7050 रुपए पर भाव पहुंच गए हैं। अब इन परिस्थितियों में बाजार एक बार और तेज लग रहा है। यूपी एमपी एवं बिहार में दाल की बिक्री निकलने लगी है। वहीं नई तुवर बर्मा से लोडिंग की गति धीमी है तथा पुरानी तुवर का स्टॉक चेन्नई में भी हाजिर कंटेनर एवं गोदाम में नहीं है, इस वजह से अभी कुछ दिन शॉर्टेज रहेगी तथा नीचे वाले भाव में कटनी की दाल मिलें भी खरीद करने लगी है। इधर दाल में भी कारोबारी माल खरीदने लगे हैं। अत: वर्तमान भाव में भविष्य में भी तुवर का व्यापार लाभदायक रहेगा।