ओला की स्टोरी में महिन्द्रा जैसे ऑटो दिग्गज की टूव्हीलर जर्नी ईको हो रही है। 2008 से 2020 की अपनी 12 साल की छोटी सी लाइफ में महिन्द्रा को कोई दस स्कूटर और बाइक मॉडल बंद करने पड़ गये थे। फ्लाइट, काइने, रोडियो, ड्यूरो और गस्टो स्कूटर के अलावा सेंट्यूरो, पेंटेरो, स्टालियो और प्रीमियम बाइक मोजो। मीडिया ब्लिट्जक्रीग और लंबे-चौड़े सेल्स और सर्विस नेटवर्क...और डीप पॉकेट्स के बावजूद इनमें से ज्यादातर प्रॉडक्ट इंजीनियरिंंग लेवल पर ही फेल हो गए थे। रीकॉल, पूअर परफॉर्मेंस और कस्टमर कंप्लेंट से ऐसा माहौल बना कि क्या कहें। फिरंग सैटिंग में शूट हुआ ...इट्स गुड टू बी मी...केम्पेन टीवी पर छा गया था लेकिन कंपनी का सबसे कामयाब मॉडल होने के बावजूद सेंट्यूरो (बाइक) कस्टमर बेस नहीं बना पाई। यह पूरा खेल मिसमैनेजमेंट का था और इससे उबरने में कंपनी को कई साल लग गए। बाद में 2018 में कंपनी ने बिल्कुल क्लीन स्लेट पर जावा ब्रांड को लॉन्च किया।
डीटूसी से एमबीओ : क्रिकेट में एक टर्म होती है...सॉफ्ट स्टांस....यानी वो खिलाड़ी जिसका फुटवर्क बहुत हल्का होता है...यानी निम्बल या एजाइल...। मतलब तीनों का एक ही है जो बहुत डायनामिक है। ...और ओला भी तो यही है जिसने कस्टमर फीडबैक मिलते ही तुरंत स्ट्रेटेजी को फाइनट्यून कर दिया। डायरेक्ट टू कस्टमर यानी डीटूसी से ब्रांड बिल्ड करने में कामयाब रहने के बाद कंपनी अब एमबीओ (मल्टी ब्रांड आउटलेट्स) के जरिए ग्रोथ की राइड करने की तैयारी कर रही है। नेटवर्क पार्टनर प्रोग्राम के तहत कंपनी 2025 के आखिर तक सेल्स और सर्विस के लिए 10 हजार पार्टनर्स का नेटवर्क तैयार करेगी। ओला इलेक्ट्रिक ने कहा है कि उसने 600 एमबीओ के साथ पार्टनरशिप कर ली है और फेस्टिव सीजन से पहले 1 हजार एमबीओ का नेटवर्क तैयार हो जाएगा। एमबीओ पार्टनर को टेस्ट ड्राइव वेहीकल के लिए 1 लाख रुपये का सिक्यॉरिटी डिपॉजिट देना होगा और सेल्स पर मार्जिन मिलेगा। कंपनी का मानना है कि इससे स्मॉल टाउन्स तक ब्रांड को पहुंचाने और कस्टमर को कन्वर्ट करने में मदद मिलेगी। इससे सीमित ब्रांड फुटप्रिंट की चैलेंज को भी फौरी तौर पर मैनेज किया जा सकता है। अभी ओला के देश में कंपनी ऑपरेटेड 800 एक्सपीरियंस सेंटर हैं। सेल्स के साथ कंपनी सर्विस नेटवर्क को भी शॉकट्रीटमेंट देते हुए मल्टी ब्रांड वर्कशॉप्स का नेटवर्क तैयार करेगी। सेल्स के मोर्चे पर कामयाब ओला ब्रांड की ग्रोथ स्टोरी का सबसे बड़ा चैलेंज सर्विस ही है।
ब्रांडञ्चस्टेक : अभी पिछले दिनों ही कंपनी ने कई-कई महीने के कस्टमर कंप्लेंट और सर्विस बैकलॉग को देखते हुए नई सर्विस टीम को मोर्चे पर लगाया है। लेकिन...लगता है ओला को क्राइसिस का अहसास होने लगा है और वह एमबीओ जैसे स्टॉप गैप अरेंजमेंट पर भरोसा कर रही है। यह डबल एज्ड स्वॉर्ड (दोधारी तलवार) है। हो सकता है कंपनी को इससे कुछ एक्स्ट्रा सेल्स वॉल्यूम मिल जाए, टियर-3 शहरों में ब्रांड विजिबिलिटी बढ़ जाए लेकिन रिस्क इतना बड़ा है कि...। इन दिनों जिन चैलेंजे•ा से कंपनी दो-चार है उनका इस क्विक फिक्स सॉल्यूशन से कुछ नहीं होगा। और...इससे ब्रांड डाइल्यूट होने का भी खतरा होगा क्योंकि प्रीमियम ओला हजारों की भीड़ में शामिल हो जाएगा। वैसे भी प्रीमियम ब्रांड की जर्नी कस्टमर एक्सपीरियंस के रास्ते पर आगे बढ़ती है। और इसके लिए कंपनी को एक्सपीरियंस्ड प्रॉडक्ट टीम को फील्ड पर उतारना था जो कस्टमर के गिरते ट्रस्ट को रिकवर करने में मदद कर पाती। ओला के लिए चैलेंज कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि टीवीएस, बजाज, और हीरो के आगे कई इंटरनेशल महारथी जमीन सूंघ चुके हैं। कुछ ही महीनो में इस ग्रुप में जापानी दिग्गज होंडा भी शामिल हो जाएगी। दूसरा सवाल एमबीओ नेटवर्क पार्टनर की सेल्स और सर्विस ट्रेनिंग का भी है। जब कंपनी की ट्रेन्ड सर्विस टीम ही फेल हो रही तो फिर लोकल गैराज पर कैसे हो पाएगा।
