लम्बे समय बाद भीलवाड़ा के कपड़ा बाजार में हलचल दिखाई देने लगी है। करीब एक वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद देश की प्रमुख कपड़ा मंडियों से छुट-पुट तथा निर्यात क्षेत्र की डिमान्ड निकलने के साथ ही आने वाले दिनों में त्योहारों एवं शादियों का सीजन शुरू होने से बाजार में चहल पहल शुरू हो गई है। स्थानीय कपड़ा उत्पादकों ने लम्बे समय से कपड़ा बाजार में उठाव नहीं होने के दबाव के मद्देनजर उत्पादन कम कर दिया था। रीको औद्योगिक क्षेत्र में कार्य कर रही इकाइयों के उत्पादन घटा देने तथा गोदामों में तैयार कपड़े का स्टॉक बढ़ जाने से कपड़ा उत्पादकों पर दबाव की स्थिति बनने लगी थी, लेकिन अब आगामी त्यौहारी एवं शादियों के सीजन की डिमांड और मार्केट के रुख को देखते हुए कपड़ा उत्पादकों की उम्मीदें जाग गई है। बांग्लादेश में अशांति के कारण स्थानीय कपड़ा मंडियों के साथ ही एक्सपोर्ट मार्केट की डिमांड आने से सात-आठ माह से जमा स्टॉक कम होने की संभावना बन गई है। देश के सभी भागों में समय पर हुई मानसून की अच्छी वर्षा से कृषि उत्पादन बेहतर होने की संभावना से भी आने वाले समय में कपड़ा बाजार के अच्छे चलने की उम्मीदें लगाई जा रही है। आने वाले दिनों में कपड़े की चौतरफा मांग निकलने के संकेत दिखाई देने लगे हैं। इससे कपड़ा उत्पादकों में छायी निराशा के बादल छटने लगे हैं। कई प्रदेशों के कपड़ा कारोबारियों की पूछ-परख बढऩे तथा कई उत्पादकों को नये आदेश मिलना शुरू होने से कपड़ा बाजार की कमजोर पड़ी गतिविधियों में सुधार दिखाई देने लगा है। कई देशों में तनाव के चलते कपड़ा निर्यात बंद पड़ा था। वहां निर्यात शुरू होने से कपड़ा बाजार में स्थितियां सामान्य होने के संकेत दिखाई देने लगें है। गुजरात के सूरत और अहमदाबाद, मध्यप्रदेश के इन्दौर और रतलाम, उतरप्रदेश की कानपुर, लखनऊ तथा दिल्ली के कपड़ा बाजार के लिए डिस्पेच शुरू हो गये है। यहां से जाने वाले प्रमुख शहरों के लिए विडियो कोच बसों के अतिरिक्त ट्रकों से विभिन्न शहरों के लिए माल जाना शुरू हो गया है। निर्यात करने वाले कपड़ा घरानों का कहना है कि गल्फ सहित अफ्रीका कई देशों में कपड़े का निर्यात शुरू हुआ है। इसके अतिरिक्त यहां कॉरपोरेट क्षेत्र में कार्य कर रहे कारोबारी अपने कपड़े को यूरोपीय देशों में निर्यात कर रहे है।